नई दिल्ली: महाराष्ट्र के एक विशेष(MPMLA) अदालत ने नागपुर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के करीब 150 करोड़ रुपये के घोटाले में कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री सुनील केदार और चार अन्य को दोषी ठहराया है। कोर्ट ने केदार को 5 साल की कैद व 10 लाख रुपये जुर्माना भरने का आदेश दिया है। अदालत ने […]
नई दिल्ली: महाराष्ट्र के एक विशेष(MPMLA) अदालत ने नागपुर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के करीब 150 करोड़ रुपये के घोटाले में कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री सुनील केदार और चार अन्य को दोषी ठहराया है। कोर्ट ने केदार को 5 साल की कैद व 10 लाख रुपये जुर्माना भरने का आदेश दिया है। अदालत ने सुनील केदार, अशोक चौधरी, केतन शेठ(Congress MLA Sunil Kedar) और तीन अन्य बांड एजेंट्स को दोषी ठहराया है।
विशेष अदालत ने 150 करोड़ रुपये के एनडीसीसीबी घोटाले में दोषी ठहराए जाने के बाद कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री सुनील केदार समेत 5 अन्य आरोपियों को पांच साल कैद की सजा सुनाई और 10 लाख रुपये जुर्माना भरने को कहा। 5 अन्य आरोपियों को भी इतनी ही जेल की सजा और जुर्माने की सजा सुनाई गई। वहीं, अन्य 3 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में कोर्ट ने बरी कर दिया है।
जानकारी दे दें कि इस घोटाले में कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री सुनील केदार दोषी पाए गए हैं। साल 2002 में नागपुर डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक में 150 करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाले की खबर सामने आई थी। उस समय केदार इस बैंक के चेयरमैन थे। बता दें कि इस मामले में वह मुख्य आरोपी भी हैं। बाद में निजी कंपनी के दिवालिया होने के कारण बैंक में किसानों का पैसा भी डूब गया। इसके बाद केदार और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
बता दें कि नागपुर डिस्ट्रिक्ट सेंट्रल 2001-2002(Congress MLA Sunil Kedar) में को-ऑपरेटिव बैंक ने निजी कंपनियों इंद्रमणि मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड, होम ट्रेड लिमिटेड, सिंडिकेट मैनेजमेंट सर्विसेज, गिल्टेज मैनेजमेंट सर्विसेज और सेंचुरी डीलर्स प्राइवेट लिमिटेड की मदद से बैंक के फंड से सरकारी शेयर खरीदे। वहीं बाद में बैंक को इन कंपनियों से खरीदी गई नकदी कभी नहीं मिली।
यह आरोप लगा है कि इन कंपनियों ने कभी भी बैंक को सरकारी नकदी नहीं दी और न ही बैंक की रकम लौटाई। उसे बाद आपराधिक मामला दर्ज किया गया और मामले की आगे की जांच सीआईडी को सौंप दी गई। अब जांच पूरी होने के बाद सीआईडी ने 22 नवंबर 2002 को अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया। उस समय यह मामला विभिन्न कारणों से लंबित था।
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