कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का बयान- लोग प्रभावित होकर अपना धर्म बदलवाते हैं ना कि तलवार के डर से

Congress leader on Conversion: एक ओर तो बीजेपी bjp देश में ‘धर्मांतरण विरोधी विधेयक’ पारित करने के पक्ष में है। वहीं दूसरी और कांग्रेस Congress इसका पुरजोर विरोध करती रही है। अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने भी धर्मांतरण को सही ठहराया है। वे शनिवार को जम्मू कश्मीर […]

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का बयान- लोग प्रभावित होकर अपना धर्म बदलवाते हैं ना कि तलवार के डर से

Aanchal Pandey

  • December 26, 2021 9:21 am Asia/KolkataIST, Updated 3 years ago

Congress leader on Conversion:

एक ओर तो बीजेपी bjp देश में ‘धर्मांतरण विरोधी विधेयक’ पारित करने के पक्ष में है। वहीं दूसरी और कांग्रेस Congress इसका पुरजोर विरोध करती रही है। अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने भी धर्मांतरण को सही ठहराया है। वे शनिवार को जम्मू कश्मीर के उधमपुर जिले में आयोजित एक क्रिसमस कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे थे। इस दौरान ईसाई समुदाय को संबोधित करते हुए उन्होने कहा कि धर्मांतरण करने वाला या कराने वाला दोनों ही गलत नहीं होते। अगर कोई लोगों का धर्म परिवर्तन कर रहा है तो जरुरी नहीं कि वह तलवार का इस्तेमाल ही कर रहा है। जो आजकल प्रचलन में नहीं है।

धर्मांतरण को बताया अच्छा काम

गुलाम नबी आजाद ने धर्मांतरण Conversion को अच्छा काम बताते हुए कहा कि ‘लोग धर्म परिवर्तन तब कराते हैं, जब वे किसी विशेष धर्म की अच्छाईयों से प्रभावित होते हैं। वे उस धर्म के लोगों को मानवता की सेवा करते हुए देखते हैं, बिना भेदभाव के सबको साथ लेकर चलते हुए देखते हैं। आजाद ने कहा कि लोग प्रभावित होकर अपना धर्म बदलवाते हैं ना कि किसी डर या खौफ से।

जम्मू-कश्मीर की पुरानी व्यवस्था बेहतर थी

क्रांग्रेस नेता ने जम्मू-कश्मीर की वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था पर निशाना साधते हुए कहा कि इससे बेहतर तो पूर्व डोगरा शासकों की ‘महाराजा’ व्यवस्था थी। एक महाराजा होता था, जिसको हम तानाशाह या स्वेच्छाचारी शासक कहते थे। किंतु वे आज के वक्त से ज्यादा अच्छा सोचते थे। लोगों की भलाई चाहते थे। जबकि आज की सरकार ऐसा नही कर रही है। कांग्रेस नेता ने स्थानीय निवासियों के जमीन से जुड़े सुरक्षा उपायों, नौकरियों और दरबार मूव प्रथा के समाप्त होने का जिक्र करते हुए अपनी बातें रखीं। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में कुछ माह पूर्व प्रशासनिक सुधारों की कड़ी में करीब 150 साल पुरानी दरबार मूव प्रथा खत्म की गई है।

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