नई दिल्ली : मंगलवार को कांग्रेस ने चुनाव संबंधी इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों को सार्वजनिक रूप से पब्लिश करने पर रोक लगाने वाले नियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। 20 दिसंबर को केंद्र सरकार ने चुनाव नियमों में संशोधन कर मतदान केंद्र के सीसीटीवी, वेबकास्टिंग फुटेज और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे कुछ इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों को सार्वजनिक करने पर रोक लगा दी थी.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि चुनाव आयोग को इतने महत्वपूर्ण कानून (चुनाव आचार नियम, 1961) में एकतरफा संशोधन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। नियमों में बदलाव के बाद 21 दिसंबर को भी उन्होंने कहा था कि चुनाव आयोग पारदर्शिता से इतना क्यों डरता है। आयोग के इस कदम को जल्द ही कानूनी चुनौती दी जाएगी। चुनाव आयोग की सिफारिश पर कानून मंत्रालय ने 20 दिसंबर को चुनाव संचालन नियम-1961 के नियम 93(2)(ए) में संशोधन किया है।
अधिकारियों ने कहा था कि मतदान केंद्र के सीसीटीवी फुटेज से AI का इस्तेमाल कर छेड़छाड़ कर फर्जी खबरें फैलाई जा सकती हैं। इसी वजह से इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड सार्वजनिक करने पर रोक लगाई गई है। हालांकि बदलाव के बाद भी ये रिकॉर्ड उम्मीदवारों के पास उपलब्ध रहेंगे। अन्य लोग इसे पाने के लिए कोर्ट जा सकते हैं।
दरअसल, एक मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा विधानसभा चुनाव से जुड़े दस्तावेज याचिकाकर्ता के साथ साझा करने का निर्देश दिया था। इसमें नियम 93 (2) के तहत सीसीटीवी फुटेज को भी माना गया था। हालांकि, चुनाव आयोग ने कहा था कि इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड इस नियम में शामिल नहीं हैं। इस अस्पष्टता को दूर करने के लिए नियम में बदलाव किया गया है।
चुनाव आयोग ने कहा कि नामांकन फॉर्म, चुनाव एजेंटों की नियुक्ति, चुनाव परिणाम और चुनाव खाता विवरण जैसे दस्तावेजों का उल्लेख चुनाव आचार संहिता नियम में किया गया है। आचार संहिता के दौरान सीसीटीवी फुटेज, वेबकास्टिंग फुटेज और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज इसके दायरे में नहीं आते हैं।
वहीं, आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां नियमों का हवाला देकर इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड मांगे गए। संशोधन में यह सुनिश्चित किया गया है कि नियमों में उल्लेखित दस्तावेजों को ही सार्वजनिक किया जाए। अन्य दस्तावेज जिनका उल्लेख नियमों में नहीं है, उन्हें सार्वजनिक करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
इस साल जनवरी में चंडीगढ़ मेयर चुनाव में चुनाव अधिकारी द्वारा बैलेट पेपर से छेड़छाड़ का सीसीटीवी वीडियो सामने आया था। यह चुनाव आप और कांग्रेस ने मिलकर लड़ा था। मतदान के बाद चुनाव अधिकारी अनिल मसीह ने परिणाम घोषित किया। इसमें भाजपा प्रत्याशी मनोज सोनकर को 16 वोट मिले जबकि आप-कांग्रेस प्रत्याशी कुलदीप टीटा को 12 वोट मिले।
चुनाव अधिकारी ने गठबंधन प्रत्याशी के 8 वोट अवैध घोषित कर दिए। इस पर आप कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मसीह ने खुद ही बैलेट पर निशान लगाकर उसे अवैध बना दिया है। मामला सुप्रीम कोर्ट में गया। 5 फरवरी को सुनवाई के दौरान तत्कालीन CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने भी वह वीडियो देखा, जिसमें चुनाव अधिकारी अनिल मसीह बैलेट पेपर पर क्रॉस लगाते नजर आ रहे थे। इस पर चंद्रचूड़ ने कड़ी टिप्पणी की थी।
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