नई दिल्ली : लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जवाब दिया। इससे पहले राहुल गांधी ने भी संविधान पर चर्चा के दौरान अपने विचार रखे। शुक्रवार को प्रियंका गांधी बोलीं थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक एक कर सभी को जवाब दिया और कहा कि शिकारी कांग्रेस को समय समय पर संविधान संशोधन का खून मुंह में लग गया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस संविधान संशोधन के लिए इतना आतुर रहती थी कि वो प्लान के साथ संविधान का शिकार करती रही। संविधान की आत्मा को लहूलुहान किया गया। छह दशक में 75 बार संविधान बदला गया। देश के पहले प्रधानमंत्री ने जो बीज बोया था, उसे दूसरी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सींचा। 1971 में संविधान में बदलाव करके सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया था। उन्होंने देश की अदालत के पंख काट दिए थे। उन्होंने तब अदालत के अधिकार छीन लिए थे, उन्हें रोकने वाला कोई नहीं था।
PM ने आगे कहा कि जब इंदिरा जी का चुनाव अदालत ने खारिज कर दिया और उन्हें सांसद के पद से इस्तीफा देना पड़ा तो उन्होंने गुस्से में देश पर आपातकाल थोप दिया। अपनी कुर्सी बचाने के लिए फिर उन्होंने 1975 में 39वां संशोधन किया और उसमें उन्होंने क्या किया- राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, स्पीकर के चुनाव के खिलाफ कोई भी अदालत नहीं जा सकता, उन्होंने ऐसा नियम बनाया और प्रकारांतर से लागू कर दिया.
पीएम मोदी ने कहा कि अगर आप हमारी नीतियों को देखें, तो हम लगातार भारत की एकता को मजबूत करने की कोशिश करते रहे हैं. अनुच्छेद 370 देश की एकता में दीवार थी इसीलिए इसे खत्म किया गया. देश की एकता हमारी प्राथमिकता है.
पीएम ने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर जी ने चेतावनी दी थी. उन्होंने कहा था कि समस्या देश में विविधता से भरे लोगों को एकजुट करने की है. उन्हें फैसले लेने के लिए कैसे प्रेरित किया जाए. मुझे बहुत दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि आजादी के बाद अगर विकृत मानसिकता के कारण सबसे बड़ा आघात हुआ, तो वो देश की एकता की मूल भावना पर हुआ. हम विविधता का जश्न मनाते हैं. जो लोग भारत का भला नहीं देख पाए, वो विविधता में विरोधाभास ढूंढते रहे.
कांग्रेस परिवार ने संविधान को चोट पहुंचाया
पीएम मोदी ने कहा कि तथ्यों को देश के सामने रखना जरूरी है. कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को चोट पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. मैं इसलिए इस परिवार का उल्लेख करता हूं क्योंकि इस देश में 50 साल एक ही परिवार ने राज किया है. इसलिए देश को यह जानने का अधिकार है. इस परिवार की कुरीति, कुनीति, कुविचार निरंतर चलते रहे.
1947 से 1952 तक एक अस्थायी व्यवस्था थी. चुनाव नहीं हुए थे. 1952 के पहले राज्यसभा का भी गठन नहीं हुआ था. उसके बावजूद भी 1951 में जब चुनी हुई सरकार नहीं थी, उन्होंने विधेयक लाकर संविधान को बदल दिया. तब अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला कर दिया गया. ये संविधान निर्माताओं का अपमान था.
पीएम मोदी ने कहा कि मैं तो संविधान के प्रति विशेष आदर का भाव व्यक्त करना चाहता हूं. मेरे जैसे अनेक लोग जो यहां नहीं पहुंच पाते, लेकिन ये संविधान था जिसके कारण हम यहां तक पहुंचे. ये उसका सामर्थ्य और जनता का आशीर्वाद था.
पीएम ने कहा कि हमारे संविधान की अपेक्षा एकता की है. मातृभाषा को दबाकर देश के जनमानस को संस्कारित नहीं कर सकते हैं. नई शिक्षा नीति में मातृभाषा को जगह दी गई है. काशी-तमिल संगमम संस्थागत हुआ है, ये समाज को मजबूती देने का प्रयास है.
संविधान के आज 75 साल हो रहे हैं, हमारे यहां तो 25 साल, 50 साल का भी महत्व होता है, लेकिन जरा याद करें क्या हुआ था. हमारे देश में आपातकाल लाया गया. संविधान को नोच लिया गया. संवैधानिक व्यवस्थाओं को खत्म कर दिया गया. नागरिकों के अधिकारों को लूट लिया गया. कांग्रेस के माथे पर ये जो पाप है वो कभी धूलने वाला नहीं है.
हमने वन नेशन वन हेल्थ कार्ड तय किया: PM
पीएम मोदी ने कहा कि देश की एकता के मंत्र को जीने वाले हम लोगों ने वन नेशन वन कार्ड, वन नेशन वन हेल्थ कार्ड तय किया. देश में कई बार ऐसा हुआ जब एक हिस्से में बिजली थी, लेकिन दूसरे हिस्से में सप्लाई नहीं हो रही थी, अंधेरा था. वो दिन हमने देखे हैं. आज बिजली देश के हर कोने में है. इन्फ्रास्ट्रक्चर में भी भेदभाव की बू आती रही है लेकिन अब सब दूर करने की कोशिश हो रही है.
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