नई दिल्लीः मिलिंद देवड़ा के कांग्रेस से इस्तीफे के बाद पार्टी को भारत जोड़ो न्याय यात्रा से पहले एक तगड़ा झटका लगा है। ये कांग्रेस के लिए एक तगड़ा झटका है क्योंकि अब से कुछ महीने बाद ही लोकसभा चुनाव होना है। ऐसे में आम चुनाव से ठीक पहले मिलिंद देवड़ा जैसे बड़े नेता का पार्टी को छोड़कर जाना कांग्रेस को ज्यादा नुकसानदेह हो सकता है। बड़ी बात ये है कि मिलिंद देवड़ा कांग्रेस छोड़कर जाने वाले पहले नेता नहीं हैं। पिछले कुछ समय में पार्टी से मिलिंद समेत इन 11 बड़े नेताओं का कांग्रेस से मोह भंग हो गया है।
इस सूची में सबसे पहले नंबर पर आते हैं मिलिंद देवड़ा। मिलिंद देवड़ा ने रविवार को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने एक्स पर अपने इस्तीफे ऐलान किया था। मिलिंद देवड़ा ने कुछ वक्त पहले ही उद्धव ठाकरे गुट द्वारा मुंबई दक्षिण सीट से चुनाव लड़ने का दावा करने पर नाराजगी जाहिर की थी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद ने 2022 में पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। ये उस दौरान पार्टी छोड़ने वाले सबसे बड़े नेताओं में से एक थे। अब गुलाम नबी आजाद ने अब जम्मू-कश्मीर में डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी के नाम से अपना दल का गठन कर लिया है।
गुजरात के पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने मई 2022 में अपने इस्तीफे के साथ राहुल गांधी को नाराज करते हुए कांग्रेस छोड़ दी थी। बता दें कि राहुल गांधी हार्दिक को 2019 में पार्टी में लेकर आए थे। हार्दिक पटेल ने अपने इस्तीफे में लिखा था कि पार्टी के ज्यादातर बड़े नेता अपने फोन में ही व्यस्त रहते हैं। वहीं अपने त्याग पत्र के बाद वह बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर लिए थे।
पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार ने पंजाब चुनाव से कुछ दिन पहले फरवरी 2022 में कांग्रेस से मोह भंग हो गया था। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता रहे अश्विनी कुमार 2019 के चुनावों में हार के बाद पार्टी छोड़ने वाले पहले नेताओं में शामिल थे।
सुनील जाखड़, जिन्होंने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष का कमान संभाला था, उन्होंने 2022 में तत्कालीन मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की आलोचना करने के लिए आलाकमान द्वारा कारण बताओ नोटिस मिलने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। वह मई में भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी और जुलाई में उन्हें बीजेपी पंजाब इकाई का प्रमुख का कमान सौप दिया गया था।
पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह जनवरी 2022 को कांग्रेस से त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल हो गए थे। पिछड़ी जाति के प्रमुख नेता सिंह कथित तौर पर प्रियंका गांधी के नेतृत्व वाले यूपी चुनाव में साइड लाइन किए जाने से खफा थे।
ज्योतिरादित्य सिंधिया जो फिलहाल एक केंद्रीय उड्डयन मंत्री हैं, उन्होंने 2020 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। वो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आ गए थे। उस दौरान मध्य प्रदेश में कांग्रेस में बड़े पैमाने पर दलबदल हुआ, जिससे कमल नाथ सरकार सत्ता से बेदखदल हो गई थी।
जितिन प्रसाद, जो केंद्रीय मंत्री भी रह चुके है और राहुल गांधी के बेहद करीबी मानें जाते थे। उन्होंने भी 2021 में कांग्रेस छोड़ दी थी। इसके बाद वो भी बीजेपी में आ गए थे। अपने पक्ष रखते हुए उन्होंने कहा था कि भाजपा एकमात्र वास्तविक राजनीतिक दल है।
कांग्रेस के पूर्व विधायक अल्पेश ठाकोर ने जुलाई 2019 में दो राज्यसभा सीटों के लिए उपचुनाव में पार्टी उम्मीदवार के खिलाफ मतदान करने के बाद पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। कुछ दिनों बाद वह भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर लिए थे। वहीं पिछले साल हुए चुनाव में उन्होंने गांधीनगर दक्षिण से जीत हासिल की थी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी ने पिछले साल जनवरी में कांग्रेस छोड़ दी और अगले महीने भाजपा में शामिल हो गए थे। भारत को विकास के रास्ते पर लाने के लिए बहुत स्पष्ट दृष्टिकोण रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की थी।
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