अगरतला. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में पहली बार पूर्वोत्तर राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए. एक राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष के तौर राहुल गांधी की शुरुआत बेहद खराब रही है. शनिवार को घोषित नागालैंड और त्रिपुरा में कांग्रेस अपना खाता तक नहीं खोल सकी. नागालैंड और त्रिपुरा विधानसभा चुनाव परिणाम कांग्रेस के लिए निराशाजनक रहे. इन नतीजों से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर भी उंगलियां उठने लगी हैं. राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद देश में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए जहां कांग्रेस को बुरी तरह से मुंह की खानी पड़ी है. हालांकि पार्टी मेघालय में सम्मान बचाने में कामयाब रही. मेघालय में कांग्रेस को कुल 21 सीटें मिली हैं.
राहुल गांधी से पहले सोनिया गांधी पार्टी की अध्यक्ष थीं जिनके नेतृत्व में पार्टी ने त्रिपुरा में 2013 में 10 सीटें और नागालैंड में 8 सीटें जीती थीं. इसके साथ ही पार्टी राज्य में दूसरी बड़ी पार्टी और मुख्य विपक्ष के तौर पर उभरी थीं. लेकिन राहुल गांधी की अध्यक्षता में पहली बार हुए चुनावों में एक भी सीट न मिलना उनके नेतृत्व पर सवाल उठाता है.
बता दें कि 16 दिसंबर 2017 को राहुल गांधी ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद को संभाला, जिसके बाद पहली बार किन्हीं राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए है. हालांकि इस बीच कई राज्यों में उपचुनाव हुए हैं. लेकिन ये पहले फुल टाइम विधानसभा चुनाव थे जहां कांग्रेस को करारी शिरकत मिली. खासतौर पर पूर्वोत्तर राज्यों की जनता ने कांग्रेस को सरकार तो सरकार, विपक्ष के तौर पर भी कांग्रेस को नकार दिया.
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