चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ 71 सांसदों ने साइन किया महाभियोग प्रस्ताव, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को सौंपी अर्जी

कांग्रेस समेत सात विपक्षी पार्टियों ने उपराष्ट्रपति से मुलाकात कर मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया. जिसके बाद प्रेस कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आजाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया कि उन्होंने ये कदम क्यों उठाया. इस रिपोर्ट में पढ़िए क्या कह कांग्रेस के इन दोनों नेताओं ने...

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चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ 71 सांसदों ने साइन किया महाभियोग प्रस्ताव, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को सौंपी अर्जी

Aanchal Pandey

  • April 20, 2018 2:33 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्लीः कांग्रेस समेत सात विपक्षी पार्टियों की शुक्रवार को हुई बैठक के बाद कांग्रेस नेता गुला नबी आजाद समेत दूसरे नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव देने के लिए उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से मुलाकात की. संसद परिसर में हुई इस बैठक में गुलाम नबी आजाद, केटीएस तुलसी, अभिषेक मनु सिंघवी, कपिल सिब्बल, एनसीपी की वंदना चौहान, सीपीआई के डी. राजा शामिल हैं. गुलाम नबी आजाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि, हमने उप राष्ट्रपति से उनके आवास पर करीब 40 मिनट तक मुलाकात की. उन्होंने बताया कि हमने कदाचार के पांच आधार पर भारत के प्रधान न्यायाधीश को हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव रखा है.

आजाद ने आगे बताया कि महाभियोग प्रस्ताव पर कांग्रेस को सात दलों का समर्थन मिला है. जिसमें एसपी, बीएसपी, सीपीआई, सीपीएम, एनसीपी, मुस्लि लीग शामिल हैं गुलाम नबी आजाद ने बताया कि महाभियोग प्रस्ताव पर 71 सांसदों ने हस्ताक्षर किए थे, लेकिन इनमें से अब सात सांसद सेवानिवृत्त हो चुके हैं, ऐसे में अब ये संख्या 64 रह गई है. आजाद ने कहा कि सीजेआई के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए राज्यसभा में न्यूनतम संख्या 50 होनी चाहिए. गुलाम नबी आजाद के साथ कपिल सिब्बल भी इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद रहे.

सिब्बल ने कहा कि हम देश को बताना चाहते हैं कि हमने यह कदम क्यों उठाया. प्रधान न्यायाधीश जिस तरह से कुछ मुकदमों का निपटारा कर रहे हैं और अपने अधिकारों का प्रयोग कर रहे है, उस पर सवाल उठाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमने महाभियोग प्रस्ताव पेश किया. संविधान के अंतर्गत अगर कोई भी सुप्रीम कोर्ट का जज गलत व्यवहार करता है तो उसको संसद की अनुमति से जांच के बाद हटाया जा सकता है. इसी संदर्भ में महाभियोग पेश किया गया.

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