September 20, 2024
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इन देशों में डीजल कारों पर लगा है पूरी तरह प्रतिबंध, भारत भी कर रहा है तैयारी

  • WRITTEN BY: Anjali Singh
  • LAST UPDATED : September 2, 2024, 5:08 pm IST

नई दिल्ली: भारत में गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण को लेकर हमेशा से बहस होती रही है। अक्सर कहा जाता है कि डीजल और पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियां प्रदूषण का बड़ा कारण हैं। सवाल ये उठता है कि क्या भारत में भी जल्द ही डीजल कारों पर पूरी तरह से बैन लग सकता है? और अभी कौन-कौन से देश हैं जहां ये बैन पहले से लागू है? आज हम इसी पर चर्चा करेंगे।

बढ़ती इलेक्ट्रिक कारों की मांग

ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में गाड़ियों के इंजन को लेकर काफी बहस चलती रहती है। धीरे-धीरे भारत में भी इलेक्ट्रिक गाड़ियों की मांग बढ़ रही है। सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के हालिया बयान ने डीजल कार मालिकों की चिंता बढ़ा दी है। गडकरी हमेशा से ही कम प्रदूषण करने वाली गाड़ियों के इस्तेमाल पर जोर देते रहे हैं। पेट्रोल और डीजल से चलने वाली गाड़ियों से ज्यादा प्रदूषण होता है, और गडकरी इथेनॉल या इलेक्ट्रिक से चलने वाली गाड़ियों का समर्थन करते हैं।

किन देशों में डीजल कारों पर बैन लागू है?

इथियोपिया ने पेट्रोल और डीजल कारों के आयात पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है, और ऐसा करने वाला यह दुनिया का पहला देश बन गया है। इसके अलावा, 2023 में यूरोपीय संघ (ईयू) ने फैसला लिया कि 2035 से कोई भी नई फॉसिल फ्यूल (जैसे पेट्रोल और डीजल) से चलने वाली कारें नहीं बेची जाएंगी। यूरोपीय संसद ने इस कानून को मंजूरी दे दी है, जिसका उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने में मदद करना है।

भारत में क्या हो सकता है?

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बोला है कि आने वाले अगले 10 साल में वह पेट्रोल और डीजल से चलने वाली गाड़ियों को पूरी तरह से बंद करना चाहते हैं। हालांकि, फिलहाल सरकार ने नई डीजल कारों पर कोई अतिरिक्त टैक्स नहीं लगाया है। इसके लिए सरकार अभी योजना बनाने पर विचार कर रही है। गाड़ियों की औसत उम्र भी करीब 10 से 15 साल होती है, इसलिए अभी कुछ सालों तक डीजल कार मालिकों को कोई खास दिक्कत नहीं होनी चाहिए। गडकरी ने यह भी बताया है कि जहां पेट्रोल पर 100 रुपये खर्च होते हैं, वहीं इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर सिर्फ 4 रुपये खर्च होंगे।

भारत में डीजल कारों पर बैन लगने की संभावनाएं बढ़ती जा रही हैं, खासकर जब दुनिया के कई देशों ने इस दिशा में कदम उठा लिए हैं। इलेक्ट्रिक और इथेनॉल से चलने वाली गाड़ियों का समर्थन और बढ़ती मांग से साफ है कि आने वाला समय पर्यावरण के प्रति और भी ज्यादा संवेदनशील होगा।

 

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