नई दिल्ली। क्या देश एक बार फिर बड़े बिजली संकट की चपेट में आने की कगार पर है. संकेत तो यही बयां कर रहे हैं. घरेलू कोयले का उत्पादन ज्यादा नहीं बढ़ रहा है जबकि कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों पर बिजली की बढ़ती मांग के कारण अधिक उत्पादन करने का दबाव है. दूसरी […]
नई दिल्ली। क्या देश एक बार फिर बड़े बिजली संकट की चपेट में आने की कगार पर है. संकेत तो यही बयां कर रहे हैं. घरेलू कोयले का उत्पादन ज्यादा नहीं बढ़ रहा है जबकि कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों पर बिजली की बढ़ती मांग के कारण अधिक उत्पादन करने का दबाव है. दूसरी ओर, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयला इतना महंगा हो गया है कि आयातित कोयले से बिजली बनाने वाले संयंत्रों ने आयात करना लगभग बंद कर दिया है. केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय भी स्थिति से वाकिफ है और मंगलवार को बिजली मंत्री आरके सिंह ने आयातित कोयला आधारित संयंत्रों की समीक्षा की और राज्यों द्वारा आयातित कोयले की स्थिति की भी जानकारी ली.
गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, झारखंड, हरियाणा, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों से आधिकारिक बिजली कटौती बढ़ने की खबरें आ रही हैं. एक कारण यह है कि भीषण गर्मी के कारण बिजली की मांग बढ़ने लगी है और दूसरा यह है कि आयातित कोयले पर आधारित निजी क्षेत्र की बिजली कंपनियों के संयंत्रों से उत्पादन का स्तर लगातार घट रहा है.
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह से जब कोयले की कमी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, पंजाब और यूपी में कोयले की कोई कमी नहीं है. बल्कि आंध्र, राजस्थान, तमिलनाडु में कोयले की कमी है. उन्होंने कहा कि इन राज्यों में कोयले की कमी के पीछे अलग-अलग कारण हैं. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु आयातित कोयले पर निर्भर है. लेकिन पिछले कुछ दिनों में आयातित कोयले के दाम बहुत तेजी से बढ़े हैं. ऐसे में हमने तमिलनाडु से कहा है कि अगर आप आयातित कोयले पर निर्भर हैं तो कोयले का आयात करें.