नई दिल्ली। कोचिंग सेंटर्स की मनमानी रोकने के लिए सरकार की ओर से लगातार प्रयास किया जा रहा है। कोचिंग के भ्रामक विज्ञापनों पर लगाम लगाने के लिए अब सरकार ने नई गाइडलाइन्स का प्रारूप तय किया है। इसमें बताया गया है कि कोचिंग सेंटर 100 प्रतिशत सिलेक्शन या फिर नौकरी दिलाने का दावा किसी […]
नई दिल्ली। कोचिंग सेंटर्स की मनमानी रोकने के लिए सरकार की ओर से लगातार प्रयास किया जा रहा है। कोचिंग के भ्रामक विज्ञापनों पर लगाम लगाने के लिए अब सरकार ने नई गाइडलाइन्स का प्रारूप तय किया है। इसमें बताया गया है कि कोचिंग सेंटर 100 प्रतिशत सिलेक्शन या फिर नौकरी दिलाने का दावा किसी भी विज्ञापन में
अब नहीं कर सकते हैं। सेंट्र्ल कन्ज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) ने नए नियमों को ड्राफ्ट किया है। बता दें कि उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने 30 दिन के भीतर इसपर जनता की राय मांगी है।
केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नियमों में बताया गया है कि कोई भी कोचिंग संस्थान जरूरी जानकारी को विज्ञापन में नहीं छिपा सकता है। अक्सर विज्ञापन में कोचिंग संस्थान अहम जानकारियां नहीं देते हैं। जैसे कि कोर्स पेड है या फ्री, कोर्स का ड्यूरेशन क्या है और कैंडिडेट ने कौन सा कोर्स चुना था और कितने दिन तक कोचिंग की, सफलता दर को लेकर गलत फैक्ट। अक्सर कोचिंग संस्थान बिना किसी प्रमाण के ही रैंकिंग और चयन का दावा करने लगते हैं। नए नियमों में यह भी कहा गया है कि जब तक किसी कैंडिडेट से सहमति नहीं ली जाती तब तक उसका फोटो, वीडियो, नाम या फिर ब्यौरा विज्ञापन के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
बता दें कि हाल ही में केंद्र सरकार की ओर से देश के सभी प्राइवेट कोचिंग संस्थानों के लिए गाइडलाइन जारी की गई थी जिसमें रजिस्ट्रेशन करवाने की बात कही गई थी। इसके अलावा इसमें 16 वर्ष से कम के बच्चों का एनरोलमेंट करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था। देश में बढ़ रहे सुइसाइड मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार ने यह गाइडलाइन जारी की थीं।
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