नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश प्रशासन ने बुलडोजर कार्रवाई की तो एक नहीं कई परिवार खुले आसमान के नीचे आ गए । आखिर वह कहां जाएं ? इस सवाल को लेकर अब एक पीड़ित जरूरतमंद असमत अली ने भीरा थाने में शिकायती पत्र देकर न्याय की मांग की है। जिसमें उन्होंने बताया कि उसने करीब दस साल पूर्व सफीकू पुत्र रसूल से गांव में ही रहने के लिए जमीन चार लाख रुपए में जमीन खरीदी थी।
बता दें कि रसूल के साथ धोखाधड़ी करके उसके हाथों बेच गई थी। उसके बाद रविवार को वह घर पर भी नहीं था और उसके बच्चे घर पर ही थे। अचानक जेसीबी और सरकारी कर्मचारियों के साथ उसकी झोपड़ी नुमा आवास को गिराया जाने लगा। जिसके बाद पीड़ित असमत का कहना है कि कानूनन अतिक्रमण हटाने के लिए नियमानुसारअंतिम नोटिस दिया जाना चाहिए लेकिन अफसरों ने उसे एक ही नोटिस देकर उसकी झोपड़ी गिरानी शुरु कर दी।
प्रदेश के मुखिया का निर्देश है कि भूमिहीन व किसी गरीब को ऐसी स्थिति में विस्थापित करने के बाद ही नियमानुसार कार्यवाही की जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ ऐसी हालत में पीड़ित परिवार अपने बच्चों सहित खुले आसमान के नीचे आ गया है । बता दें कि पीड़ित परिवार जैसे तैसे भरण पोषण करता था। छप्पर नुमा घर में परिवार के साथ गुजर-बसर हो रही थी। अब खुला आसमान ही उसके परिवार का सहारा बचा है। ऐसे में तपती दुपहरी चिलचिलाती धूप में बच्चे के लिए दो वक्त की रोटी के लिए इंतजाम करना अब बहुत मुश्किल साबित हो रहा है।
बिजुआ कस्बे में रविवार को शासन और प्रशासन की संयुक्त टीम ने अतिक्रमण हटाने को लेकर प्रशासनिक कार्रवाई कर दी थी। जिसमें बिजुआ कस्बा निवासी चंदा पुत्र अलिबक्स, जाहिद अली पुत्र हबीब सहित दो अन्य अजमत अली पुत्र रहमत व हनीफ़ पुत्र दुबरी के छप्पर नुमा घरों पर भी प्रशासन ने बुलडोजर कार्रावई कर दी थी।
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