सीएम KCR की PM मोदी से मांग- कवि अन्नाभाउ साठे को दिया जाए भारत रत्न

नई दिल्ली: मंगलवार को तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव वाटेगांव पहुंचे जहां उन्होंने वाटेगांव के प्रख्यात कवि अन्नाभाउ साठे को मरणोपरांत भारत रत्न देने की मांग की. उन्होंने कहा कि वह इस मांग के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखेंगे और अपील करेंगे कि अन्नाभाउ साठे को भारत रत्न दिया जाए. प्रधानमंत्री […]

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सीएम KCR की PM मोदी से मांग- कवि अन्नाभाउ साठे को दिया जाए भारत रत्न

Riya Kumari

  • August 1, 2023 9:21 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

नई दिल्ली: मंगलवार को तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव वाटेगांव पहुंचे जहां उन्होंने वाटेगांव के प्रख्यात कवि अन्नाभाउ साठे को मरणोपरांत भारत रत्न देने की मांग की. उन्होंने कहा कि वह इस मांग के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखेंगे और अपील करेंगे कि अन्नाभाउ साठे को भारत रत्न दिया जाए.

प्रधानमंत्री को पत्र लिखूंगा- KCR

दरअसल साठे की 103वीं जयंती के अवसर पर मुख्यमंत्री केसीआर महाराष्ट्र के वाटेगांव में आयोजित जनसभा में पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि साठे की कृतियों का सभी भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जाना चाहिए. जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार KCR ने इस दौरान महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से भी अन्नाभाउ साठे को भारत रत्न देने के लिए पीएम को पत्र लिखने का अनुरोध किया. सीएम केसीआर ने जनसभा में उपस्थित भीड़ से भी अन्नाभाउ को भारत रत्न दिलाने के प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए कहा. दूसरी ओर भारी जनसमूह ने ताली बजाकर इस प्रस्ताव का अनुमोदन किया है.

साठे को नहीं मिला सम्मान

अपने संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री KCR ने कहा कि अन्नाभाउ साठे मैक्सिम गोर्की कहलाते थे. ये तुलना उनके विशाल व्यक्तित्व का सबूत है. साठे को रूस जैसे देश ने मान्यता दी जहां के प्रधानमंत्री ने उन्हें आमंत्रित कर सम्मानित किया था. रूसी लाइब्रेरी में साठे की एक मूर्ति भी है. मुख्यमत्री ने आगे कहा कि अफ़सोस की बात ये है कि भारत के शासकों ने साठे को मान्यता नहीं दी है. दुनिया के सामने उनके साहित्य को लाने की पहल नहीं की गई. KCR आगे कहते हैं कि उनके कृतियों का सभी भारतीय भाषा में अनुवाद किया जाना चाहिए और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इन्हें पेश किया जाना चाहिए.

KCR ने आगे कहा कि साठे की रचना और व्यक्तित्व की प्रतिष्ठा करने से हमारी प्रतिष्ठा बढ़ती है वह हमारे देश के लिए गर्व हैं. उनका लेखन, साहित्य और दलितों के लिए उनका संघर्ष सराहनीय है. उन्होंने जीवन भर एक कम्युनिस्ट और अंबेडकरवादी के रूप में समान समाज की स्थापना के लिए लगातार काम किया.

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