नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने योगमणि ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित डॉ. उर्मिला ताई जामदार स्मृति प्रसंग कार्यक्रम में व्याख्यान दिया। संघ प्रमुख मोहन भागवत का संबोधन विश्व कल्याण के लिए हिंदुत्व की आवश्यकता विषय पर था। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व के मूल में विश्व कल्याण निहित है। विश्व कल्याण में हिंदुत्व का विशेष महत्व है। अभी दुनिया के पास सब कुछ है, संसाधन बहुत हैं और ज्ञान असीमित है लेकिन रास्ता नहीं मिल रहा है, उनकी अपेक्षाएं भारत से हैं। भारत ने पूरे विश्व को भौतिक सुख और आध्यात्मिक शांति दी है।
उन्होंने कहा कि आज दुनिया पर तीसरे विश्व युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं। ऐसे में सबकी नजर हिंदुत्व पर है। हिंदुत्व ही दुनिया को रास्ता दिखा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि हर कोई चाहता है कि भारत विश्वगुरु बने लेकिन कुछ लोग अपने स्वार्थ के कारण इसमें बाधाएं खड़ी करते हैं। अगर मैं कहूं कि भारत रास्ता दिखाएगा तो कोई विवाद नहीं होगा, लेकिन जैसे ही मैं कहूंगा कि हिंदुत्व रास्ता दिखाता है तो विवाद शुरू हो जाएगा। आज के विश्व को कल्याण की आवश्यकता है और केवल हिंदू धर्म ही उस आवश्यकता को पूरा कर सकता है।
भागवत ने आगे कहा कि पश्चिमी संस्कृति में जो भी विकास हुआ, वह अधूरा था। धर्म और राजनीति की अवधारणा को व्यवसाय बना दिया गया। दुनिया दो विचारधाराओं में बंट गई। एक आस्तिक और दूसरी नास्तिक। इसलिए आज पूरा विश्व आध्यात्मिक शांति के लिए भारत की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहा है। उन्होंने कहा कि मानव धर्म सनातन धर्म है और सनातन धर्म हिंदू धर्म है। उन्होंने आगे कहा कि इस युग में विज्ञान ने बहुत प्रगति की है। लेकिन इसका लाभ गरीब लोगों और पूरे विश्व तक नहीं पहुंचा है। बल्कि, दुनिया को नष्ट करने वाले हथियार हर जगह पहुंच गए हैं।
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