Climate change: लू, बाढ़, सूखा, तूफान जैसी घटनाओं से प्रभावित होंगे गंगा-सिंधु के आसपास के क्षेत्र

नई दिल्ली : आने वाले दशकों में गंगा और सिंधु नदियों के आसपास के उपजाऊ क्षेत्र जलवायु परिवर्तन के कारण चरम घटनाओं का केंद्र बन सकता हैं. ये प्रभाव बहुत उपजाऊ क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं. बता दें कि चरम मौसम की घटनाओं का संयुक्त प्रभाव हर साल लाखों लोगों को प्रभावित करता है. दरअसल […]

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Climate change:  लू, बाढ़, सूखा, तूफान जैसी घटनाओं से प्रभावित होंगे गंगा-सिंधु के आसपास के क्षेत्र

Shiwani Mishra

  • April 24, 2024 10:49 am Asia/KolkataIST, Updated 7 months ago

नई दिल्ली : आने वाले दशकों में गंगा और सिंधु नदियों के आसपास के उपजाऊ क्षेत्र जलवायु परिवर्तन के कारण चरम घटनाओं का केंद्र बन सकता हैं. ये प्रभाव बहुत उपजाऊ क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं. बता दें कि चरम मौसम की घटनाओं का संयुक्त प्रभाव हर साल लाखों लोगों को प्रभावित करता है. दरअसल इन चरम मौसम की घटनाओं में गर्मी की लहरें, भारी बारिश, बाढ़, सूखा और तूफान जैसी घटनाएं शामिल हैं.

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान और ऑग्सबर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अपने नवीनतम अध्ययन में जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों के बारे में चिंता जताई है. परिणाम हाइड्रोमेटोरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुए थे, इसके साथ शोधकर्ताओं ने पानी और जलवायु से संबंधित मिश्रित चरम घटनाओं पर ध्यान केंद्रित किया है. इसका उद्देश्य यह पता लगाना था कि ये मिश्रित घटनाएं भविष्य में भारत को कितनी बार विनाशकारी क्षति पहुंचा सकती हैं और कौन से क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित होंगे. हालांकि बढ़ते तापमान से बचने के लिए, शोधकर्ताओं ने गर्मी और सूखा प्रतिरोधी बीजों में निवेश और बांधों के निर्माण जैसे उपायों को प्राथमिकता दी है.

जलवायु परिवर्तन

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प्रभावित होंगे गंगा-सिंधु के आसपास के क्षेत्र

ये अध्ययन ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से संबंधित चार संभावित भविष्य के परिदृश्यों पर आधारित है. प्रत्येक परिदृश्य कार्बन उत्सर्जन में भविष्य में होने वाले परिवर्तनों, जैसे जनसंख्या वृद्धि, संसाधन आवंटन, तकनीकी प्रगति और जीवनशैली में बदलाव को भी ध्यान में रखता है. बता दें कि ये परिदृश्य भविष्य की वास्तविकताओं के लिए आत्मनिर्भर मानचित्र के रूप में कार्य करते हैं. दरअसल शोधकर्ताओं का कहना है कि इस उपजाऊ मैदान में चावल और गेहूं जैसी महत्वपूर्ण फसलें उगाई जाती हैं. वैश्विक तापमान में लगातार वृद्धि के कारण ये क्षेत्र बहुत बड़े खतरे की जद में है, भविष्य में भीषण गर्मी, सूखा और भारी बारिश के कारण न सिर्फ पैदावार प्रभावित होगी बल्कि कुछ फसलों की उपज भी नष्ट हो जाएगी.

जलवायु परिवर्तन से 30 मिलियन से अधिक लोग

जलवायु परिवर्तन

वैश्विक तापमान में लगातार वृद्धि

शोधकर्ताओं के मुताबिक तराई वाले इस उपजाऊ क्षेत्र में धान और गेहूं जैसी प्रमुख फसलें उगाई जाती हैं. बता दें कि वैश्विक तापमान में लगातार वृद्धि के कारण ये क्षेत्र बहुत बड़े खतरे की जद में है. भविष्य में भीषण गर्मी, सूखा और भारी बारिश के कारण न सिर्फ पैदावार प्रभावित होगी बल्कि कुछ फसलों की उपज भी नष्ट हो जाएगी.ख़बरों के अनुसार देश में घनी आबादी वाले क्षेत्रों में अतीत में शुष्क गर्मी की तुलना में भारी बारिश और गर्मी में अधिक बड़े बदलाव देखे गए हैं. देश के कुछ हिस्सों में जिनमें सिंधु-गंगा के मैदान और सुदूर दक्षिण के तट शामिल हैं, वहां ये बदलाव 6 गुना तक बढ़ जाएगा.

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