उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में पुलिस ने जालसाजी के एक मामले में 10वीं के छात्र के परिवार की शिकायत पर सुनवाई नहीं की तो उसने दोस्त की मदद से यूपी के डीजीपी ओमप्रकाश सिंह का फर्जी ट्विटर अकाउंट बनाकर कार्रवाई के निर्देश दे डाले. मामले का खुलासा होने के बाद पुलिस ने आरोपियों को हिरासत में ले लिया और पूछताछ की.
लखनऊः यूपी में एक परिवार के साथ हुई धोखाधड़ी के मामले में पुलिस ने सुनवाई नहीं की तो 10वीं के छात्र ने दोस्त की मदद से उत्तर प्रदेश पुलिस के डीजीपी ओम प्रकाश सिंह का फर्जी टि्वटर अकाउंट बना दिया. इतना ही नहीं, छात्र इस अकाउंट के जरिए पुलिसवालों को जरूरी दिशा-निर्देश भी देना लगा. डीजीपी कार्यालय से जब इस बारे में पुलिसवालों को पता चला तो उन्होंने जाल बिछाकर आरोपी नाबालिगों को पकड़ लिया.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गोरखपुर के रहने वाले 10वीं के एक छात्र ने दोस्त की मदद से यूपी डीजीपी का फर्जी ट्विटर अकाउंट बनाया और गोरखपुर पुलिस को एक मामले में कार्रवाई का आदेश दिया. गोरखपुर पुलिस फौरन हरकत में आई और जालसाजी के एक आरोपी को पकड़कर पीड़ित परिवार की मदद की. दूसरी ओर इस मामले में जब गोरखपुर पुलिस ने डीजीपी कार्यालय को केस प्रोगेस की रिपोर्ट दी तो वह हैरान रह गए. कार्यालय की ओर से बताया गया कि उनकी तरफ से इस तरह के किसी मामले में निर्देश नहीं दिए गए.
जिसके बाद डीजीपी कार्यालय की तरफ से हजरतगंज थाने में पुलिस मुखिया का फर्जी ट्विटर अकाउंट बनाए जाने के संबंध में केस दर्ज किया गया और पड़ताल शुरू की गई. सर्विलांस टीम को मोबाइल नंबर की मदद से जल्द ही आरोपियों का सुराग मिला और पुलिस भटहट के मोइदीनपुर टोला स्थित महुअवां गांव पहुंची. पुलिस ने दोनों युवकों को हिरासत में लेकर पूछताछ की. आरोपियों ने पुलिस के सामने जुर्म कबूलते हुए आपबीती सुनाई. आरोपी छात्र ने पुलिस को बताया कि इलाके के रहने वाले सादिक अंसारी ने उसके बड़े भाई से विदेश भेजने के नाम पर 45 हजार रुपये लिए थे.
सादिक ने उसके भाई को विदेश भेजने के नाम पर रकम ऐंठ ली और न ही वह उसके भाई को विदेश भेज रहा था और न ही पैसे वापस कर रहा था. उसके परिजनों ने पुलिस से मदद की गुहार लगाई लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. जिसके बाद अपने दोस्त की मदद से उसने डीजीपी ओपी सिंह का फर्जी ट्विटर अकाउंट बनाया और गोरखपुर पुलिस को इस केस में कार्रवाई के निर्देश दे डाले. पुलिस ने फौरन कार्रवाई की और सादिक से पीड़ित परिवार को 30 हजार रुपये वापस दिलवाए. सादिक ने जल्द बाकी रुपये देने का वादा किया. परिवार के पैसे वापस मिलने से वह काफी खुश था. फिलहाल पुलिस ने छात्रों के भविष्य को देखते हुए उन्हें हिदायत देकर छोड़ दिया है.
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