Claiming Citizenship and Nation: नई दिल्ली। डॉक्टर ऐश्वर्या पंडित की पुस्तक “क्लेमिंग सिटीजनशिप एंड नेशन- मुस्लिम पॉलिटिक्स एंड स्टेट बिल्डिंग इन नॉर्थ इंडिया,1947- 1986” का बुधवार को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर दिल्ली में विमोचन किया गया। इस किताब को रुटलेज द्वारा प्रकाशित किया गया है। इस कार्यक्रम में हरियाणा में विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा, […]
नई दिल्ली। डॉक्टर ऐश्वर्या पंडित की पुस्तक “क्लेमिंग सिटीजनशिप एंड नेशन- मुस्लिम पॉलिटिक्स एंड स्टेट बिल्डिंग इन नॉर्थ इंडिया,1947- 1986” का बुधवार को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर दिल्ली में विमोचन किया गया। इस किताब को रुटलेज द्वारा प्रकाशित किया गया है। इस कार्यक्रम में हरियाणा में विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा, राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा, राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा और पूर्व राज्यसभा सांसद केसी त्यागी सहित कई प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया।
इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शाहिद सिद्धकी के साथ द संडे गार्जियन के संपादकीय निदेशक प्रोफेसर एमडी नालापत द्वारा संचालित पैनल डिस्कसन में किताब पर विस्तृत चर्चा हुई। इस पैनल में पूर्व राज्यसभा सदस्य शाहिद सिद्दीकी तथा डॉक्टर शेषाद्री चारी, चेयरमैन, चाइना स्टडी सेंटर , मणिपाल अकेडमी आफ हायर एजुकेशन शामिल थे।
इस किताब की लॉन्चिंग के अवसर पर पैनल डिस्कसन में प्रोफेसर नालापत ने कहा कि भारत के 5000 साल लंबे इतिहास में विभाजन एक बहुत बड़ी घटना थी। इसके परिणाम अभी भी न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में महसूस किए जा रहे हैं। यह पुस्तक नागरिकता और राष्ट्र के बारे में बताती है। साथ ही ये किताब उस मनोविज्ञान को समझने में बहुत मददगार है. जो विभाजन का कारण बना. ये पुस्तक उस आघात के बारे में भी बताती है जिसका असर अभी भी हमारे देश में है। यह उन लोगों के लिए जरूरी है जो एक मजबूत और एकजुट भारत देखना चाहते हैं।
पैनल डिस्कसन में शेषाद्री चारी ने कहा ये एक बहुत ही महत्वपूर्ण पुस्तक है जो बहुत ही संवेदनशील और महत्वपूर्ण विषय पर है। उन्होंने कहा कि दिलचस्प बात तो यह है कि यह पुस्तक ना केवल ऐतिहासिक तथ्यों से बल्कि निष्कर्षों से भी आकर्षित करती है। शेषाद्री चारी ने कहा कि यह पुस्तक में बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदाय राजनीति को कैसे प्रभावित करते इसका भी बेहतर ढंग से चित्रण किया है.
परिचर्चा में भाग लेते हुए शाहिद सिद्दीकी ने कहा कि यह पुस्तक महत्वपूर्ण है क्योंकि आजादी से पहले और बाद में उत्तर प्रदेश हमेशा भारत में सबसे महत्वपूर्ण राज्यों में से एक रहा। उन्होंने कहा बाएं और दाएं विभाजन, सांप्रदायिक विभाजन यहां सब कुछ हुआ। इसलिए जाहिर तौर पर यूपी ने भारतीय राजनीति पर अपना दबदबा कायम रखा है ताकि पाठक उत्तर प्रदेश की राजनीति को बेहतर ढंग से समझ सकें।
इस कार्यक्रम में किताब की लेखिका डॉ ऐश्वर्या पंडित ने किताब से जुड़ी कुछ मुख्य बातों पर अपने विचार प्रकट किए। यह किताब मुस्लिम राजनीति के बदलते स्वरूप और स्वतंत्र भारत में नागरिकता के विचारों की अंतरर्दृष्टि प्रदान करती है। ये किताब पूरे उत्तर भारत में अल्पसंख्यक समूह की चुनावी लामबंदी और प्रभाव का अध्ययन करती है। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में जहां मुस्लिम विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में जनसांख्यिकी रूप से प्रभावशाली रहे हैं। इस किताब में प्रतिनिधित्व संपत्ति, भाषा की राजनीति, पुनर्वास और नागरिकता, वक्त की राजनीति, व्यक्तिगत कानून और हिंदू काउंटर के मुद्दों के साथ-साथ कांग्रेस के गढ़ बनाने और मुस्लिम सांप्रदायिकता के पुनरुद्धार के खतरे जैसे विषयों पर चर्चा की गई है।
किताब की लेखिका डॉ ऐश्वर्या पंडित ने बाताया कि भारतीय राजनीति और समाज के प्रमुख पक्षों को सही तथ्यों से अवगत कराने के लिए पहले सरकारी और संस्थागत फाइलों, निजी अभिलेखागार, इंटरव्यू और मौखिक संसाधनों का उपयोग किया गया है। उन्होंने बताया कि ये किताब राजनीति, भारतीय इतिहास ,अल्पसंख्यक अध्ययन कानून, राजनीतिक अध्ययन ,राष्ट्रवाद , चुनावी राजनीति, विभाजन अध्ययन , राजनीतिक समाजशास्त्र , समाजशास्त्र और दक्षिण एशियाई अध्ययन के विद्वानों और शोधकर्ताओं के लिए उपयोगी साबित होगी।
इस किताब के लॉन्चिंग के मौके पर ऐश्वर्या पंडित ने कहा यह पुस्तक कैंब्रिज में मेरे शोध का विषय रही है। इस किताब में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई है जो समाकालीन भारतीय राजनीति का दिल है। उन्होंने बताया कि इस किताब यूपी और मुस्लिम राजनीति को फोकस करती है जो आज भी सभी के लिए प्रसांगिक है।
ऐश्वर्या पंडित ने कहा कि यह किताब सभी प्रकार के पाठकों के लिए प्रसांगिक है छात्रों से लेकर पत्रकारों और राजनेताओं तक। लेखिका ने बताया कि उन्होंने इस किताब के लिए बहुत मेहनत और काम किया है जो अभिलेखीय है, इसलिए मैं पुस्तक के अच्छे रिस्पांस की उम्मीद कर रही हूं।
डॉक्टर ऐश्वर्या पंडित शर्मा ने 2008 में मिरांडा हाउस, दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में बीए आनर्स प्रथम श्रेणी में किया। उन्होंने साल 2008 और 2009 के बीच लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस से अंतरराष्ट्रीय संबंधों के इतिहास पर मास्टर डिग्री हासिल की। डॉक्टर ऐश्वर्या पंडित ने जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल, ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में एक प्रोफेसर के तौर पर कानूनी इतिहास भी पढ़ाया है। डॉ.पंडित एडुटेक प्लेटफॉर्म फर्स्ट इन क्लास में अकादमिक प्लेटफॉर्म से शिक्षा में नई क्रांति लाई हैं। उन्हें इस साल अप्रैल में परोपकार के लिए ब्रिक्स-सीसीआई ट्रेलब्लेजर फेलिसिटेशन से सम्मानित किया गया। वह पहले सेंटर फॉर डेवलपिंग सोसाइटीज, नई दिल्ली, भारत में एक विजिटिंग फेलो थीं। उन्होंने भारतीय प्रबंधन संस्थान, इंदौर में भी पढ़ाया है।
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