Justice Yashwant Verma: दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के ट्रांसफर को लेकर देश भर की बार एसोसिएशनों ने एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद की है. गुजरात, केरल, कर्नाटक, लखनऊ, इलाहाबाद सहित छह प्रमुख हाई कोर्ट बार एसोसिएशनों के अध्यक्षों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना को पत्र लिखकर जस्टिस वर्मा के तबादले के आदेश पर रोक लगाने की मांग की है. यह विवाद तब शुरू हुआ. जब जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास से बड़ी मात्रा में नकदी बरामद होने की खबरें सामने आईं. इस घटना ने न्यायिक पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं.

बार एसोसिएशंस के प्रतिनिधि मिले CJI से

इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने बताया कि CJI संजीव खन्ना ने दिल्ली में बार एसोसिएशनों के प्रमुखों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने आश्वासन दिया कि जस्टिस यशवंत वर्मा के ट्रांसफर को लेकर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश को वापस लेने की मांग पर विचार किया जाएगा. बार एसोसिएशनों ने अपने पत्र में मांग की कि जस्टिस वर्मा के आवास से नकदी बरामदगी के मामले में उचित जांच हो और जवाबदेही तय की जाए. इसके साथ ही दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की अपील भी की गई.

ट्रांसफर-प्रशासनिक कार्यों पर रोक लगे

बार एसोसिएशनों ने CJI और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम से जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर रद्द करने के साथ-साथ उनके सभी प्रशासनिक कार्यों को भी वापस लेने का अनुरोध किया है. गौरतलब है कि जस्टिस वर्मा से पहले ही न्यायिक कार्य वापस लिए जा चुके हैं. एक संयुक्त बयान में बार एसोसिएशनों ने चेतावनी दी कि यदि ट्रांसफर का आदेश वापस नहीं लिया गया तो सभी बार अध्यक्ष इलाहाबाद में एकत्र होंगे और इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के साथ एकजुटता प्रदर्शित करेंगे. यह कदम उस समय उठाया गया है. जब इलाहाबाद हाई कोर्ट बार जस्टिस वर्मा के अपने मूल कोर्ट में तबादले का कड़ा विरोध कर रही है.

तीन सदस्यीय कमिटी करेगी जांच

सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय इन-हाउस जांच कमिटी इस सप्ताह जस्टिस वर्मा से मुलाकात करने वाली है. जांच शुरू करने से पहले जस्टिस वर्मा ने वरिष्ठ अधिवक्ताओं सिद्धार्थ अग्रवाल, मेनका गुरुस्वामी, अरुंधति काटजू और अधिवक्ता तारा नरूला से कानूनी सलाह ली है. यह कमिटी नकदी बरामदगी के मामले की गहराई से जांच करेगी और अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी. इस बीच बार एसोसिएशनों का दबाव और CJI का आश्वासन इस मामले को और संवेदनशील बना रहा है.

क्या हैं मामला

जस्टिस वर्मा का मामला तब सुर्खियों में आया. जब उनके आवास पर 14 मार्च को आग लगने की घटना के बाद वहां से नकदी बरामद होने की बात सामने आई. इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने की सिफारिश की थी. हालांकि बार एसोसिएशनों का मानना है कि यह कदम पर्याप्त नहीं है और इस मामले में पारदर्शी जांच जरूरी है. CJI संजीव खन्ना का यह आश्वासन कि वह मांग पर विचार करेंगे.

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