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SC: CJI दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली 5 न्यायाधीशों की संविधान पीठ इन 8 मामलों पर आज से करेगी सुनवाई

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ आज से देश के 8 महत्वपूर्ण मामलों पर सुनवाई करेगी. इन मामलों में ‘आधार’ में निजता का उल्लंघन, सहमति से वयस्क समलैंगिकों के बीच यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने के फैसले को चुनौती देने का मामला और केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक से जुड़ा मामला समेत 8 महत्वपूर्ण याचिकाएं शामिल हैं. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा इस पांच सदस्यीय बेंच की अगुवाई कर रहे हैं. नई गठित पांच न्यायाधीशों की इस बेंच में CJI दीपक मिश्रा के अलावा जस्टिस ए.के. सीकरी, जस्टिस ए.एम. खानविलकर, जस्टिस डी.वाई.चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं. बताते चलें कि संविधान पीठ में वरिष्ठ न्यायाधीशों को शामिल करने को लेकर उठाए गए विवाद का इस पर कोई असर नहीं हुआ है. दरअसल चीफ जस्टिस के खिलाफ एक तरह से बगावत करने वाले चारों न्यायाधीशों को इस बेंच में शामिल नहीं किया गया है. अब आपको बताते हैं वो 8 महत्वपूर्ण मुद्दे, जिन पर यह बेंच सुनवाई करेगी.

1- ‘आधार’ में निजता का उल्लंघन?
हाई कोर्ट के रिटायर जस्टिस के. पुट्टस्वामी ‘आधार’ मामले में याचिकाकर्ता हैं. पांच सदस्यीय संविधान पीठ तय करेगी कि क्या आधार में दी गई जानकारी किसी भी नागरिक के निजता के अधिकार का उल्लंघन करती है? अगर कोई निजी कंपनी या सरकारी उपक्रम अपने उपभोक्ताओं का आधार से हासिल डेटा लीक करती है तो इस दशा में सजा का प्रावधान क्या होगा?

2- समलैंगिकता अपराध या नहीं?
यह संविधान पीठ समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी में लाने वाली धारा 377 पर कोर्ट के फैसले की समीक्षा करेगी. आईपीसी की यह धारा दो वयस्क समलैंगिकों के बीच शारीरिक संबंध बनाने को अपराध मानती है जबकि आधुनिकता, समानता के अधिकार और समानता के पक्षधर इसे खत्म करने की वकालत कर रहे हैं.

3- सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश?
केरल के मशहूर सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल के बीच की बच्चियों और महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी है. बच्चियों और महिलाओं पर लगी पाबंदी हटाने का मामला भी इन महत्वपूर्ण मुद्दों में शामिल है. इस मामले में दायर याचिका में कहा गया है कि यह रोक लैंगिक आधार पर भेदभाव करती है. वहीं इस रोक के समर्थक सदियों पुरानी परंपरा को बरकरार रखे जाने की बात कहते हैं.

4- पारसी महिला के अधिकार
विशेष विवाह कानून के प्रावधानों पर पर भी यह बेंच विचार करेगी. दरअसल पांच सदस्यीय बेंच इस कानूनी सवाल पर भी सुनवाई फिर शुरू करेगी कि क्या कोई पारसी महिला दूसरे धर्म के व्यक्ति से शादी के बाद अपनी धार्मिक पहचान खो देगी. वर्तमान में पारसी महिला को गैर पारसी से विवाह करने पर धर्म और धार्मिक अधिकारों से वंचित कर दिया जाता है.

5- उपभोक्ता और बिक्री कर मामला
महत्वपूर्ण याचिकाओं में उपभोक्ता मामले में जवाब देने के लिए समय सीमा तय करने और बिक्री कर से संबंधित याचिकाएं भी शामिल हैं.

6- दिल्ली का अधिकार किसके पास?
यह बेंच केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र को लेकर टकराव पर भी सुनवाई करेगी. दरअसल अधिकारों को लेकर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच हमेशा टकराव की स्थिति बनी रहती है. मौजूदा दिल्ली सरकार का आरोप है कि उप-राज्यपाल उनकी योजनाओं एवं अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप करते हैं.

7- दागी नेताओं का भविष्य?
पांच सदस्यीय संविधान पीठ के सामने एक मामला पुलिस या किसी जांच एजेंसी की चार्जशीट में दर्ज नेताओं या जनप्रतिनिधियों के नाम पर अंतिम फैसला आने तक चुनाव लड़ने पर रोक लगाने का भी
है.

8- पत्नी के रहते दूसरी महिला से अवैध संबंध?
एक पत्नी के रहते दूसरी महिला से अवैध संबंधों में पुरुष को अपराधी माना जाता है. यह पीठ आईपीसी की इस धारा को संवैधानिक घोषित करने के सुप्रीम कोर्ट के पूर्व फैसलों पर फिर से विचार करेगी कि क्या ऐसी दशा में महिला भी बराबर की दोषी होगी. इस मामले में रोचक बात यह है कि कई वर्षों पहले चीफ जस्टिस वाई.वी. चंद्रचूड़ ने इस धारा को वैध घोषित किया था. उन्होंने कहा था कि इससे संविधान का कोई उल्लंघन नहीं होता. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को जस्टिस वाई.वी. चंद्रचूड़ के बेटे और इस बेंच में शामिल न्यायाधीश डी.वाई.चंद्रचूड़ ने फिर से विचार करने के लिए स्वीकार किया है.

BCI प्रमुख मनन मिश्रा ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा से मुलाकात के बाद कहा- जल्द सुलझ जाएगा मामला

Aanchal Pandey

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