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सुप्रीम कोर्टः महत्वपूर्ण मुद्दों पर सुनवाई के लिए CJI की अगुवाई में 5 सदस्यीय बेंच का गठन, PC करने वाले 4 जज शामिल नहीं

महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के गठन की घोषणा की गई है. पांच सदस्यीय इस बेंच में वह न्यायाधीश शामिल नहीं हैं, जिन्होंने CJI दीपक मिश्रा की प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल खड़े किए थे. वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ को इस बेंच से दूर रखा गया है. पांच सदस्यीय यह बेंच 17 जनवरी से कई महत्वपूर्ण मामलों पर सुनवाई शुरू करेगी, इनमें 'आधार' कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाला मामला, सहमति से वयस्क समलैंगिकों के बीच यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने के फैसले को चुनौती देने का मामला और केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक से जुड़ा मामला समेत कई महत्वपूर्ण याचिकाएं शामिल हैं.

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CJI Dipak Mishra Supreme court
  • January 16, 2018 6:28 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट में महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई को लेकर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के गठन की घोषणा की गई है. खास बात यह है कि इस पीठ में वह चारों वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ शामिल नहीं हैं, जिन्होंने बीते शुक्रवार प्रेस कॉंफ्रेंस कर देश की जनता के सामने प्रधान न्यायाधीश की प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल खड़े किए थे. पांच न्यायाधीशों की यह पीठ 17 जनवरी से कई महत्वपूर्ण मामलों पर सुनवाई शुरू करेगी.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नई गठित पांच न्यायाधीशों की बेंच में CJI दीपक मिश्रा, जस्टिस ए.के. सीकरी, जस्टिस ए.एम. खानविलकर, जस्टिस डी.वाई.चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं. इस बीच कोर्ट सूत्रों के मुताबिक, अभी तक यह बात भी साफ नहीं हो पाई है कि सोमवार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने चारों न्यायाधीश जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ से मुलाकात की भी है या नहीं. दरअसल सोमवार को मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि नाराज चल रहे चारों न्यायाधीशों ने CJI दीपक मिश्रा के साथ चाय पर मुलाकात की है और यह कहा जा रहा था कि न्यायाधीशों के बीच पैदा हुआ संकट अब खत्म हो चुका है.

बताते चलें कि प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय बेंच की कार्यसूची के अनुसार ‘आधार’ कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले मामले की याचिका और सहमति से वयस्क समलैंगिकों के बीच यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने के फैसले को चुनौती देने से जुड़े महत्वपूर्ण मामलों में सुनवाई करेगी. इन मामलों में केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र को लेकर टकराव का केस भी शामिल है. यह बेंच केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं (10 से 50 साल की उम्र) के प्रवेश पर रोक के विवादित मुद्दे पर भी सुनवाई करेगी. साथ ही इस कानूनी सवाल पर भी सुनवाई फिर शुरू करेगी कि क्या कोई पारसी महिला दूसरे धर्म के व्यक्ति से शादी के बाद अपनी धार्मिक पहचान खो देगी. यह बेंच आपराधिक मुकदमे का सामना कर रहे किसी जनप्रतिनिधि के अयोग्य होने से संबंधित सवाल पर भी सुनवाई करेगी.

 

 

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