नई दिल्ली. जब सोमवार को अटर्नी जनरल ने केके वेणुगोपल ने जजों की सैलेरी तीन गुना करने को कहा तो शायद उनके मन में सुप्रीम कोर्ट के जजों की संपत्ति की घोषणा रही होगी. वो भी खासकर सीजेआई दीपक मिश्रा और भावी सीजेआई रंजन गोगोई को लेकर. दरअसल सीजेआई मिश्रा पूरे 21 साल परमानेंट जज रहने के बाद रिटायर हुए हैं जिसमें से 14 साल उन्होंने हाई कोर्ट में बिताए. वहीं जस्टिस रंजन गोगोई साल 2001 में 28 फरवरी को गोवाहाटी हाईकोर्ट के परमानेंट जज बनाए गए और साल 2012 के 23 अप्रैल को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से जज के रूप में शपथ ली.
हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में दोनों के ही इतने कार्यकाल के बावजूद भी दोनों की संपत्ति काफी कम है. यहां तक कि कई सफल सीनियर वकीलों की आय भी उनसे काफी ज्यादा है. दोनों जजों की जिंदगीभर की बचत भी जोड़ दी जाए तो वह कुछ वरिष्ठ वकीलों की रोजाना की आय से कम होगी.
जस्टिस गोगोई के पास जरा भी सोने के जेवरात नहीं हैं बल्कि जो भी जेवर उनकी पत्नी के पास हैं वह उन्हें उनकी शादी के समय उनके घर से मिले थे. वहीं सीजेआई मिश्रा के पास दो सोने की अंगूठियां हैं जो वे पहनते हैं. साथ ही एक सोने की चेन हैं. इसके अलावा उनकी पत्नी के पास गोगोई की पत्नी से थोड़े अधिक जेवरात हैं. एक तरफ जहां जस्टिस गोगोई पर कोई लोन, गिरवी या बिना चुकाए बिल नहीं हैं वहीं जस्टिस मिश्रा ने दिल्ली के मयूर विहार में एक फ्लैट लेने के लिए 22.5 लाख का लोन लिया हुआ है.
चीफ जस्टिस बनने से पहले बोले रंजन गोगोई- अदालतों में लंबित पड़े मामलों को निपटाने का प्लान है
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