नई दिल्ली. सीजेआई डी वाई चंद्रचूड 10 नवंबर को सेवनिवृत्त होंगे. दो साल तक चीफ जस्टिस रहे डीवाई चंद्रचूड एक से बढ़कर एक फैसलों के साथ साथ अपने धीर गंभीर व्यक्तित्व और यंक लुक के लिए याद किये जाएंगे. इस अवसर पर चीफ जस्टिस के बारे में राय व्यक्त करने के लिए वहां मौजूद जजों […]
नई दिल्ली. सीजेआई डी वाई चंद्रचूड 10 नवंबर को सेवनिवृत्त होंगे. दो साल तक चीफ जस्टिस रहे डीवाई चंद्रचूड एक से बढ़कर एक फैसलों के साथ साथ अपने धीर गंभीर व्यक्तित्व और यंक लुक के लिए याद किये जाएंगे. इस अवसर पर चीफ जस्टिस के बारे में राय व्यक्त करने के लिए वहां मौजूद जजों औ वकीलों को भरपूर मौका मिला और उनके जिंदगी के कई राज ऐसे खुले जिसके बारे में पहले किसी को पता नहीं था.
सीजेआई की विदाई के लिए सेरेमोनियल बेंच बैठी जिसकी कार्यवाही लाइव स्ट्रीम हुई. जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड भी चीफ जस्टिस रहे हैं और उनके बेटे ने भी 37 साल बाद उसी पद को सुशोभित किया. इतना ही नहीं उन्होंने अपने पिता के दिये दो फैसले भी बदले. चंद्रचूड पिता-पुत्र की एकलौती जोड़ी ऐसी रही जो इस शीर्ष पद तक पहुंची. जस्टिस चंद्रचूड 2016 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बनकर आये थे.
लगभग 8 साल के कार्यकाल में 1274 बेंचों का हिस्सा रहे और 612 फैसले लिखे. आखिरी दिन भी उन्होंने 45 केस की सुनवाई की. चीफ जस्टिस के रूप में उन्होंने दो साल काम किया और आर्टिकल 370, राम जन्मभूमि मंदिर, वन रैंक-वन पेंशन, सबरीमाला, मदरसा, चुनावी बांड की वैधता और सीएए-एनआरसी जैसे फैसले शामिल है.
जस्टिस चंद्रचूड के विदाई के लिए बैठी सेरेमोनियल बेंच में उनके जीवन के कई ऐसे पन्ने खुले जिसे सुनकर वहां मौजूद जस्टिस और वकील भौचक्के रह गये. वरिष्ठ वकील अभीषेक मनु सिंघवी ने बताया कि कैसे सीजेआई ने उन्हें आईपैड यूज करना सिखाया. और साथ में यह भी कहा की आपका यंक लुक हमें बूढ़ा महसूस कराता है. इसका राज तो बता दीजिए. योग है क्या. इस पर अगले चीफ जस्टिस बन रहे जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि इन्होंने हमें मुश्किल में डाल दिया है. इनकी कमी हमेशा खलेगी. रही बात यंग लुक की तो इसकी चर्चा सिर्फ यहीं नहीं बल्कि विदेशों में भी होती है. आस्ट्रेलिया में बहुत से लोग मेरे पास आये और पूछा कि इनकी उम्र क्या है.
इस अवसर पर जस्टिस चंद्रचूड ने पिता द्वारा पुणे में फ्लैट खरीदकर देने का किस्सा भी सुनाया और बताया कि तुम्हारी नैतिकता या बौद्धिक ईमानदारी से समझौता हो रहा हो तो यह सोचकर समझौता मत कर लेना कि तुम्हारे सिर के ऊपर छत नहीं है. जबकि मां ने मेरा नाम धनंजय रखा और कहा कि तुम्हारे नाम धनंजय का धन भौतिक संपत्ति नहीं बल्कि ज्ञान है और तुम इसे अर्जित करना.
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