Asaduddin Owaisi: हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को केंद्र सरकार पर हमला बोला, क्योंकि सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और उसकी गतिविधियों से जुड़े सरकारी कर्मचारियों पर 1966 से लगा प्रतिबंध हटा लिया है। इस कानून के तहत किसी भी सरकारी कर्मचारी का आरएसएस जुड़ी गतिविधियों में शामिल होने पर प्रतिबंध लगाया […]
Asaduddin Owaisi: हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को केंद्र सरकार पर हमला बोला, क्योंकि सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और उसकी गतिविधियों से जुड़े सरकारी कर्मचारियों पर 1966 से लगा प्रतिबंध हटा लिया है। इस कानून के तहत किसी भी सरकारी कर्मचारी का आरएसएस जुड़ी गतिविधियों में शामिल होने पर प्रतिबंध लगाया गया था। ओवैसी के अनुसार सरकार बैन को रद्द करने का फैसला भारत की अखंडता और एकता के खिलाफ है।
सरकारी आदेश में कहा गया है “30.11.1966, 25.07.1970 और 28.10.1980 के विवादित ओएम से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का उल्लेख हटाने का फैसला किया गया है।”
ओवैसी ने एक्स पर लिखा, “यह कार्यालय ज्ञापन कथित तौर पर दर्शाता है कि सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस गतिविधियों में भाग लेने पर प्रतिबंध हटा दिया है। अगर यह सच है, तो यह भारत की अखंडता और एकता के खिलाफ है। आरएसएस पर प्रतिबंध इसलिए है क्योंकि इसने संविधान, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था।”
This office memo purportedly shows that the govt has lifted the ban on govt employees participating in RSS activities. If true, this is against India’s integrity and unity. The ban on RSS exists because it had originally refused to accept the constitution, the national flag & the… pic.twitter.com/J7yUL7Ckvl
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) July 22, 2024
एआईएमआईएम प्रमुख ने आरएसएस की शपथ का जिक्र करते हुए कहा कि हिंदुत्व समर्थक संगठन हिंदुत्व को राष्ट्र से ऊपर रखता है। यदि कोई सरकारी कर्मचारी आरएसएस से जुड़ा हुआ है तो वह कभी भी राष्ट्र के प्रति वफादार नहीं हो सकता है।
इस कानून के रद्द होने के बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘सरदार पटेल ने फरवरी 1948 में गांधी जी की हत्या के बाद आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद अच्छे आचरण के आश्वासन पर प्रतिबंध हटा लिया गया था। इसके बाद भी आरएसएस ने नागपुर में कभी तिरंगा नहीं फहराया। 1966 में सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस के कार्यक्रमों में भाग लेने पर प्रतिबंध लगाया गया था और यह सही फैसला भी था। यह प्रतिबंध तब भी लागू था जब अटल बिहारी वाजपेयी पीएम थे। मेरा मानना है कि अब नौकरशाही भी निक्कर में आ सकती है।’
ये भी पढ़ेः-जम्मू-कश्मीर में चुनाव को लेकर उमर अब्दुल्ला ने दिया बड़ा बयान,कहा ये आंतकियों के आगे झुकने जैसा ….