नई दिल्लीः भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की सिक्योेरिटी पर कितना रुपया खर्च होता है इसकी जानकारी केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने कहते हुए देने से मना कर दिया कि ये निजी मामला है. आयोग ने आरटीआई कानून के निजी सूचना और सुरक्षा संबंधी छूट वाले प्रावधानों का हवाला देते हुए जानकारी देने से मना कर दिया. बता दें कि याची ने आरटीआई (राइट टू इनफॉर्मेशन) के तहत पूछा था कि अमित शाह के सुरक्षा घेरे में कितना खर्च आता है.
दीपक जुनेजा नाम के व्यक्ति ने साल 2014 में आवेदन किया था जब अमित शाह राज्यसभा के सदस्य नहीं थे. उन्होंने आरटीआई फाइल कर उन लोगों की सूची मांगी थी, जिन्हें सरकार ने सुरक्षा दे रखी है. दीपक की इस याचिका का जबाव देते हुए गृह मंत्रालय ने धारा 8 (1) (जी) का हवाला देते हुए इस बात की जानकारी देने से मना कर दिया. मंत्रालय ने आरटीआई की धारा 8 (1) (जे) की भी बात की, जो कि व्यक्तिगत है और निजता के उल्लंघन को बढ़ावा देता है, जिसका सरकारी गतिविधि से लेना-देना नहीं है.
जुनेजा ने सीआईसी के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती भी दी जहां न्यायमूर्ति विभू बाखरू ने आयोग को रद्द कर दिया. अदालत ने मामले को फिर सीआईसी को भेज दिया. जिसके बाद आयोग ने याचिकाकर्ता और गृह मंत्रालय का पक्ष सुना. बता दें कि जुनेजा का कहना है कि निजी लोगों को जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा का खर्च सरकारी रुपयों से हीं किया जाना चाहिए.
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