पटना/नई दिल्ली: लोजपा (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान लगातार कई दिनों से नरेंद्र मोदी सरकार को असहजता में डालने वाला बयान दे रहे हैं. पिछले दिनों तो चिराग ने विपक्षी नेताओं के सुर में सुर मिलाते हुए जातीय जनगणना की मांग कर डाली. इस बीच चिराग की पार्टी की ओर से बीजेपी […]
पटना/नई दिल्ली: लोजपा (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान लगातार कई दिनों से नरेंद्र मोदी सरकार को असहजता में डालने वाला बयान दे रहे हैं. पिछले दिनों तो चिराग ने विपक्षी नेताओं के सुर में सुर मिलाते हुए जातीय जनगणना की मांग कर डाली. इस बीच चिराग की पार्टी की ओर से बीजेपी को मुश्किल में डालने वाला एक और बयान दिया गया है.
एलजेपी के दिल्ली अध्यक्ष राजू तिवारी ने असम सरकार के विधानसभा में जुमा ब्रेक बंद करने के फैसले पर आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा है कि स्वतंत्रता धार्मिक प्रथाओं का सम्मान किया जाना चाहिए. बता दें कि चिराग और उनकी पार्टी की लगातार बयानबाजी से बीजेपी आलाकमान काफी नाराज हैं. इस बीच सियासी गलियारों में यह भी चर्चा है कि चिराग की पार्टी के कई नेता भाजपा के संपर्क में हैं.
दावा किया जा रहा है कि चिराग पासवान को एक बार फिर अपनी पार्टी में टूट का सामना करना पड़ा सकता है. उनकी पार्टी के कई बड़े नेता, जिसमें सांसद भी शामिल हैं. वे जल्द ही भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम सकते हैं. मालूम हो कि इससे पहले एलजेपी संस्थापक राम विलास पासवान के निधन के बाद पार्टी में टूट हुई थी. उस वक्त चिराग के चाचा पशुपति पारस ने सभी सांसदों को अपने साथ मिलाकर केंद्र में मंत्री का पद हासिल कर लिया था. गौरतलब है कि बीते दिनों पशुपति पारस गृह-मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर चुके हैं.
बता दें कि चिराग पासवान इससे पहले भी एनडीए से अलग रुख अपना चुके हैं. हाल ही में उन्होंने केंद्र सरकार की लेटरल एंट्री वाली भर्ती का पुरजोर विरोध किया था. इसके अलावा अनुसूचित जाति (SC) व जनजाति (ST) आरक्षण में क्रीमीलेयर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ हुए भारत बंद का भी उन्होंने समर्थन किया था.
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