केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के प्रमुख चिराग पासवान ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का खुलकर विरोध किया है, जिसमें राज्यों
नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के प्रमुख चिराग पासवान ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का खुलकर विरोध किया है, जिसमें राज्यों को अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग में क्रीमी लेयर लागू करने की अनुमति दी गई है। चिराग पासवान इस फैसले के खिलाफ एक पुनर्विचार याचिका दायर करने की तैयारी में हैं और इसके लिए उन्होंने विभिन्न राजनीतिक दलों के अनुसूचित जाति के सांसदों का समर्थन जुटाने का फैसला किया है।
चिराग पासवान ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के विरोध में अनुसूचित जाति के सांसदों की एक औपचारिक बैठक बुलाने की योजना बनाई है। इस बैठक का उद्देश्य इस मुद्दे पर सांसदों के विचार जानना और उन्हें एकजुट करना है। चिराग ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया है कि वह इस फैसले से असहमत हैं और एलजेपी इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का दूरगामी राजनीतिक प्रभाव हो सकता है। हालांकि, कई प्रमुख राष्ट्रीय दल इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन चिराग पासवान और मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने खुलकर इस फैसले का विरोध किया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि इस मुद्दे पर दलित राजनीति में बड़ी हलचल हो सकती है।
एनडीए के सहयोगी दल हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) के प्रमुख जीतन राम मांझी ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की सराहना की है। मांझी का मानना है कि क्रीमी लेयर लागू होने से हाशिए पर रहे समाज के लोग भी आरक्षण का लाभ उठा सकेंगे। उन्होंने कहा कि नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में ज्यादातर पद संपन्न अनुसूचित जातियों के पास हैं, जिससे गरीब और हाशिए पर रहे लोग लाभ से वंचित रह जाते हैं।
जहां चिराग पासवान इस फैसले का कड़ा विरोध कर रहे हैं, वहीं जीतन राम मांझी ने इसे सही दिशा में उठाया गया कदम बताया है। मांझी का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्देश कि क्रीमी लेयर नहीं होनी चाहिए, बिल्कुल सही है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर पुनर्विचार की जगह समीक्षा होनी चाहिए, ताकि समाज के वंचित वर्ग को भी न्याय मिल सके।
एलजेपी जल्द ही इस मुद्दे पर अपना अगला कदम उठाने वाली है। चिराग पासवान इस मुद्दे पर दलित सांसदों को लामबंद करके सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने की दिशा में बढ़ रहे हैं। इससे यह साफ होता है कि एलजेपी इस मुद्दे को लेकर कोई भी समझौता करने के मूड में नहीं है।
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