Chinese-embassy-threatens-indian नई दिल्ली. Chinese-embassy-threatens-indian भारतीय सांसदो के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने से चीन चिढ़ गया है, यात्रा से बौखलाएं चीन ने खीजते हुए सभी सांसदो को पत्र लिखकर धमकी दी है कि ऐसे कार्यक्रमों से दूर रहें. दरसल भारतीय सांसदों के एक दल ने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में निर्वासित तिब्बती सरकार के एक […]
नई दिल्ली. Chinese-embassy-threatens-indian भारतीय सांसदो के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने से चीन चिढ़ गया है, यात्रा से बौखलाएं चीन ने खीजते हुए सभी सांसदो को पत्र लिखकर धमकी दी है कि ऐसे कार्यक्रमों से दूर रहें. दरसल भारतीय सांसदों के एक दल ने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में निर्वासित तिब्बती सरकार के एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया था. सांसदो के इस दल में भाजपा के राजीव चंद्रशेखर, मेनका गाँधी और कांग्रेस के जयराम रमेश, मनीष तिवारी समेत कई क्षेत्रीय पार्टियों के सांसद शामिल थे.
सांसदो के कार्यक्रम में शरीक होने पर नई दिल्ली स्थित चीनी दूतावास ने सांसदो को पत्र भेजकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. सासंदो को भेजे चीनी दूतावास में राजनीतिक सलाहकार झाओ यंगशेंग ने अपने पत्र में लिखा है कि भारतीय संसद के सदस्यों को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि तिब्बत क्षेत्र चीनी गणराज्य का एक अभिन्न हिस्सा है इसी वजह से भविष्य में तिब्बत के स्वतंत्रता को लेकर काम करने वाले किसी भी संगठन के कार्यक्रम में शरीक होने से बचें
इस कार्यक्रम में पहुंचे और संयोजक बने बीजेडी के सांसद सुजीत कुमार ने चीन के इस कदम की निंदा की है. सांसद सुजीत कुमार ने ट्विट किया है कि भारत स्थित चीनी दूतावास के पत्र की निंदा की जानी चाहिए.”चीनी दूतावास द्वारा भेजे गए इस पत्र पर कांग्रेस के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि मुझे ऐसे किसी पत्र के बारे में कोई जानकारी नही है और अगर मुझे ऐसा कोई पत्र मिलता भी है तो उसका कोई जवाब देना मै अपने सम्मान के खिलाफ मानता हूं. तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रवक्ता तेनजिन लेक्ष्य ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है कि ये मुद्दा चीन का आंतरिंक मामला नहीं है और पूरी दुनिया के लिए ये चिंता की बात है.
1949 में साम्यवादी सरकार के गठन के बाद से चीन ने अपने विस्तारवादी नीतियों पर काम करना शुरू कर दिया था और विस्तार की अपनी इसी भूख के चलते उसने 1949 में बहुत सुनियोजित तरीके से तिब्बत पर हमला कर वहां के नेताओं को भागने पर मजबूर कर दिया चीन के इस आक्रमक हमले से जान बचाकर भागे तिब्बती धर्म गुरू दलाई लामा ने अपने हजारों अनुयायियों के साथ भारत में राजनीतिक शरण मांगी जिसे तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने मंजूर कर लिया.
तब से लेकर अब तक दलाई लामा और उनके अनुनायी धर्मशाला में ही रह रहे है, धर्मशाला में रह रहे तिब्बती लोगों की अपनी एक निर्वासित सरकार भी है दुनिया में किसी भी देश द्वारा निर्वासित सरकार से कोई संबध रखने पर चीनी हमेशा कड़ा प्रतिक्रिया देता है. वुल्फ वॉरियर कहा जा रहा है। चीन की इस प्रतिक्रिया को वुल्फ वॉरियर डिप्लोमेसी का हिस्सा माना जा रहा है. वुल्फ वारियर शब्द चीन की एक फिल्म से लिया गया है, जिसमें हीरो हमेशा लड़ाकू मुद्रा में रहता है.
बता दें कि विस्तारवादी सोच वाला चीन विश्व में सबसे ज्यादा 14 देशों से सीमा साझा करता है और अपनी सीमा से लगे लगभग हर देश के साथ उसका सीमा विवाद है जिसमें भारत, भूटान आदि शामिल है दक्षिणी चीन सागर के पूरे हिस्से पर भी वह अपना दावा ठोकता है.