देश में बचपन कितना असुरक्षित है इसका पता चाइल्ड हेल्पलाइन फाउंडेशन की एक रिपोर्ट से पता लगता है. रिपोर्ट के मुताबिक तीन सालों में 1.36 करोड़ साइलेंट कॉल रिसीव किए गए . जिसका मतलब कि 1098 पर कॉल तो किए गए लेकिन पी़ड़ित अपनी शिकायत बोल के दर्ज नहीं करा पाया पर बैकग्राउंड से आ रही आवाजों से समझा जा सकता था कि बच्चे मुसीबत में है और वही इंडीकेट करने के लिए उन्होंने फोन किया.
नई दिल्लीः बिहार के मुजफ्फरपुर और यूपी के देवरिया में शेल्टर होम में बाल यौन शोषण की खबरों के बीच चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अप्रैल 2015 से मार्च 2018 यानी तीन साल में चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 पर 3.4 करोड़ कॉल आए जिनमें से 1.36 करोड़ साइलेंट कॉल थे. आपको बता दें कि साइलेंट कॉल का मतलब है कि कॉल के बैकग्राउंड से आवाज आ रही थी, लेकिन डायरेक्ट फोन पर कुछ नहीं कहा जा रहा था. फाउंडेशन ने इन्हें सहायता के लिए म्यूट हेल्प मांगने की कोशिश के तौर पर देखा गया.
फाउंडेशन के डेटा के अनुसार साल 2015-16 में साइलेंट कॉल की संख्या जहां 27 लाख थी तो वहीं 2016-17 में 55 लाख बार साइलेंट कॉल की गई. साल 2017-18 में 53 लाख बार साइलेंट कॉल रिसीव की गईं. जिसके बाद निर्देश दिए गए कि आप काल रिसीव करने के बाद ऐसे इनपुट दें जिससे कॉल करने वाले और भी चीजें शेयर कर सके. रिपोर्ट के मुताबिक साइलेंट कॉल करने वाले या तो बच्चे होते हैं या फिर थोड़े बड़े. उनसे उम्मीद की जाती है वे दोबारा कॉल करेंगे और परेशानी शेयर करने की कोशिश करेंगे. पहले सेशन में तो बच्चे नहीं बोलते हैं, इस दौरान काउंसलर की ये कोशिश रहती है वे उनका विश्वास जीते.
अगर 3.4 करोड़ कॉल्स पर नजर डालें तो कुल हेल्पलाइन इंटरवेंशन 6 लाख से ऊपर पहुंच जाता है. इन 6 लाख में 2 लाख से ज्यादा प्रोटेक्शन फ्रॉम एब्यूज की श्रेणी में रखा गया. जबकि 81,147 कॉल करके मदद की गुहार लगाई गई है. बता दें कि साल 2017-18 में 53 लाख बार साइलेंट कॉल किए गए हैं.
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