नई दिल्ली: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मानना है कि 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का दिन पीढ़ियों के संघर्ष के बाद आया है, और सनातन धर्म के सदियों के तप, वचन पूर्ति और गौरव का ये सदियों पुराना कार्यक्रम पूरे देश का है, और इसे राजनीतिक दृष्टि से देखने और वोट पाने के अवसर में बदलने की जरूरत नहीं है.
बता दें कि इस पर योगी ने कहा कि आज के दिन नए भारत की शुरुआत होती है, और नव्य अयोध्या का स्वरूप न केवल भारत या सनातन धर्म को, बल्कि संपूर्ण मानवता को मार्गदर्शन और प्रेरणा प्रदान देना है. राम मंदिर अभियान में हर देशवासी धर्म, जाति, पंथ, भाषा व क्षेत्र से उठकर जुड़ा, और उनके संकल्प आकार ले रहे हैं. बता दें कि इसे वैचारिक-परिवार या पार्टी से जोड़ना अनुचित है. दरअसल सांविधानिक रूप से पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमें ये सफलता प्राप्त हुई है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सवाल था कि क्या विपक्षी दलों ने प्राण प्रतिष्ठा को संघ-भाजपा की विशेष विचारधारा और संगठन बताकर कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर दिया है. सीएम योगी ने कहा- ये लोगों की आस्था का जश्न मनाने का दिन है. रामलला को अपने मंदिर में विराजमान देखना एक भावनात्मक क्षण है, और इस पर भी राजनीति, कल्पना से परे तो है , बल्कि हमारे देशवासियों की आस्था का अपमान भी है.
बता दें कि राष्ट्रीय गौरव के मुद्दे को राजनीतिक नजरिये से देखना गलत है. हालांकि कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी दलों के आमंत्रण ठुकराने पर योगी जी कहते हैं कि हमारा काम आमंत्रण देना था, और अगर कोई इसे राजनीतिक चश्मे से देखता है तो ये उसकी दृष्टि और सोच है. भगवान हर किसी को एक अवसर देता है. लेकिन इससे हर किसी को फायदा नहीं ले सकता. इस अवसर का लाभ केवल वे ही उठा सकते हैं जिन पर राम की कृपा है, और उन्हें अपने धर्म का पालन करना चाहिए, हमें अपने धर्म का पालन करना चाहिए.
शंकराचार्य के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस मौके पर सनातन धर्म के अनुभूति हर्षोल्लास से भरे हुए हैं. व्यक्तिगत मान-सम्मान या प्रतिष्ठा की चिंता किए बिना हमें सभी का आशीर्वाद मिलना चाहिए, और हमारे सभी संतों का जीवन भगवान श्री राम के चरणों में समर्पित है, इसलिए हमें कोई व्यक्तिगत अपेक्षा नहीं रखनी. बता दें कि बीजेपी के लाभ पर योगी ने कहा कि स्वाभिमान के इस राष्ट्रीय आंदोलन का लाभ-हानि से कोई लेना-देना नहीं है. लोग जानते हैं कि उनकी आस्था का सम्मान कौन करता है, और सुरक्षा कौन सुनिश्चित करता है. जो ईमानदारी से आर्थिक समृद्धि और उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रतिबद्ध हैं.
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