Chhath Puja Kharna 2018: छठ पूजा में क्या होता है खरना, जानें इसकी विधि और महत्व

Chhath Puja Kharna 2018: नहाय खाय के साथ आज से छठ महापर्व की शुरूआत हो चुकी है. छठ पूजा में 'खरना' का विशेष मह्तव होता है. क्या होता है 'खरना', जानें इसकी विधि और महत्व.

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Chhath Puja Kharna 2018: छठ पूजा में क्या होता है खरना, जानें इसकी विधि और महत्व

Aanchal Pandey

  • November 11, 2018 4:14 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्लीः Chhath Puja Kharna 2018: नहाय खाय के साथ रविवार से आस्था और विश्वास के महापर्व छठ पूजा की शुरूआत हो चुकी है. यह चार दिनों तक चलती है. कार्तिक शुक्ल की पंचमी यानी छठ पूजा के दूसरे दिन खरना व्रत होता है. छठ पूजा में खरना का विशेष महत्व है. नहाय खाय के बाद यानी पूजा के दूसरे दिन शाम में खरना का आयोजन होता है. खरना का मतलब उपवास होता है. क्या होता है खरना, जानें इसका महत्व और पूजा विधि.

हिंदू मान्यता के अनुसार, छठ पूजा के दूसरे दिन खरना व्रत करने से संतान प्राप्ति होती है. मान्यता है कि इस व्रत से परिवार पर आए संकट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं. खरना के दिन से लेकर महिलाएं 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती है. इस दिन व्रत रखने वालीं महिलाएं व्रत कर शाम में स्नान आदि के बाद विधि-विधान से रोटी और गुड़ से बनी खीर का प्रसाद तैयार करती हैं. खीर का प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर आम के पेड़ की लकड़ी जलाकर तैयार किया जाता है.

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खीर के साथ-साथ मूली, केले का भी प्रसाद होता है. भगवान सूर्य और छठी मैया की पूजा-अर्चना और प्रसाद भोग लगाने के बाद वितरित किया जाता है. यह व्रत उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद समाप्त होता है. खरना के दिन घर के लोग प्याज-लहसुन का न करें. परिवार के अन्य लोग सात्विक भोजन ग्रहण करें. व्रत रखने वालीं महिलाएं और पूजा में शामिल लोग नए वस्त्र पहनें. खरना निर्जला व्रत का नियमानुसार पालन करें. व्रती महिलाएं शोर-शराबे वाली जगहों पर जाने से बचें.

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