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Chess Olympiad: विज्ञापनों से हटी प्रधानमंत्री-राष्ट्रपति की फोटो, हाईकोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को लगाई फटकार, दिया ये निर्देश

Chess Olympiad: चेन्नई। शतरंज ओलंपियाड 2022 के विज्ञापनों में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की तस्वीरें नहीं लगाने पर मद्रास हाई कोर्ट ने आज तमिलनाडु सरकार को फटकार लगाई है। हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस एम.एन भंडारी और जस्टिस एस अनंती की बेंच ने दोनों की तस्वीरें शामिल नहीं करने पर तमिलनाडु सरकार द्वारा बताए गए कारण […]

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Chess Olympiad-Prime Minister Modi
  • July 29, 2022 1:33 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

Chess Olympiad:

चेन्नई। शतरंज ओलंपियाड 2022 के विज्ञापनों में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की तस्वीरें नहीं लगाने पर मद्रास हाई कोर्ट ने आज तमिलनाडु सरकार को फटकार लगाई है। हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस एम.एन भंडारी और जस्टिस एस अनंती की बेंच ने दोनों की तस्वीरें शामिल नहीं करने पर तमिलनाडु सरकार द्वारा बताए गए कारण को खारिज कर दिया है।

कार्रवाई करने के दिए निर्देश

तमिलनाडु की एमके स्टालिन सरकार को मद्रास हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए निर्देश दिया कि वे ये सुनिश्चित करें कि शतरंज ओलंपियाड 2022 से जुड़े सभी विज्ञापनों में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की तस्वीरें लगाई जाए। इसके साथ ही बेंच ने राज्य सरकार को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की तस्वीरों से छेड़छाड़ करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए है।

मद्रास हाईकोर्ट ने ये कहा

चीफ जस्टिस एम.एन भंडारी और जस्टिस एस अनंती की पीठ ने कहा आगे कि सार्वजनिक कार्यक्रमों में राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करना चाहिए। कोर्ट ने राज्य सरकार से ये भी सुनिश्चित करने के लिए कहा कि भले ही राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री किसी अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम का निमंत्रण स्वीकार करते हैं या नहीं लेकिन कार्यक्रम से संबंध रखने वाले सभी विज्ञापनों में उनकी तस्वीरें अवश्य होनी चाहिए। वे (प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति) अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करते हैं।

जनहित याचिका हुई थी दायर

बता दें कि मद्रास हाईकोर्ट में मदुरै निवासी राजेश कुमार द्वारा एक जनहित याजिका दायर की गई थी। जिसमें याचिकाकर्ता ने 28 जुलाई से 10 अगस्त तक तमिलनाडु के मामल्लापुरम में 44वें शतरंज ओलंपियाड के सभी विज्ञापनों में सिर्फ मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की तस्वीर के इस्तेमाल को अवैध और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन बताया था। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से तमिलनाडु सरकार के विज्ञापनों में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की फोटों को शामिल किए जाने का निर्देश देने की अपील की थी।

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