नोटबंदी के बाद अब ‘चेकबंदी’ के मूड में मोदी सरकार, रद्दी हो जाएगी आपकी चेक बुक!

नोटबंदी के बाद मोदी सरकार चेक बुक पर बैन लगा सकती है. अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (CAIT) ने दावा किया है कि केंद्र सरकार जल्द चेक बुक की व्यवस्था को खत्म करने का आदेश दे सकती है. दरअसल यह कदम देश में डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने की दिशा में उठाया जा सकता है.

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नोटबंदी के बाद अब ‘चेकबंदी’ के मूड में मोदी सरकार, रद्दी हो जाएगी आपकी चेक बुक!

Aanchal Pandey

  • November 21, 2017 10:48 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्लीः 8 नवंबर, 2016 को पीएम नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था. नोटबंदी के फैसले के पीछे कई वजहें थीं, जिसमें से एक वजह देश में कैशलेस ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देना भी था. सूत्रों की मानें तो नोटबंदी के बाद अब मोदी सरकार चेक बुक सिस्टम को पूरी तरह से खत्म करने का फैसला ले सकती है. अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (CAIT) ने दावा किया है कि केंद्र सरकार जल्द चेक बुक की व्यवस्था को खत्म करने का आदेश दे सकती है.

CAIT के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि केंद्र सरकार नोटबंदी के बाद से क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड के इस्तेमाल को लगातार बढ़ावा दे रही है. कैशलेस ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने की दिशा में सरकार जल्द चेक बुक की सुविधा को भी खत्म करने की पहल कर सकती है. प्रवीण खंडेलवाल के मुताबिक, नई करेंसी छापने और करेंसी की सुरक्षा में खर्च होने वाली रकम में कटौती करने की दिशा में ही केंद्र सरकार भारत की अर्थव्यवस्था को कैशलेस में बदलना चाहती है.

गौरतलब है कि सरकार ने इस वित्त वर्ष में 2.5 खरब डिजिटल ट्रांजैक्शंस का टारगेट निर्धारित किया है. इस टारगेट को पूरा करने के लिए सरकार चेक बुक पर जल्द ही बैन लगाने की पहल कर सकती है. अगर चेक बुक प्रणाली समाप्त हो जाती है तो इसके कुछ फायदे भी जरूर देखने को मिलेंगे. ज्यादातर व्यापारी लेनदेन के लिए चेक का ही इस्तेमाल करते हैं. कैश का प्रयोग करने वाले व्यापारियों की संख्या भी कुछ कम नहीं है. नोटबंदी के बाद से देश में नकदी में लेनदेन कम हुआ है और चेक के जरिए भुगतान काफी बढ़ा है.

हालांकि चेक बुक व्यवस्था को खत्म करना केंद्र सरकार के लिए इतना आसान नहीं होगा क्योंकि बैंकों द्वारा जारी किया जाने वाला चेक कानूनी रूप से बैंकिंग प्रणाली में फाइनेंशियल सामग्री के तौर पर शामिल है. चेक बुक व्यवस्था को खत्म करने के लिए सरकार को पहले इसे रिजर्व बैंक के जरिए फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स की सूची से बाहर करना होगा, जिसके लिए सरकार को बैंकिंग कानून में बदलाव करने की जरूरत है.

 

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