चेन्नई. देशभर में पड़ रही भीषण गर्मी और मानसून के इंतजार में जलसंकट भी गहराता जा रहा है. दक्षिण भारत के सबसे बड़े महानगर और तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में पेयजल संकट गहरा गया है. चेन्नई में जलापूर्ति का सबसे बड़े स्रोत पुजहल और चेंबरमबकम झील सूख गई हैं जिससे चेन्नई में पीने के पानी का भारी संकट आ गया है. चेन्नई की अधिकतर आबादी पीने के पानी के लिए पुजहल और चेंबरमबकम झील पर ही निर्भर है. ऐसे में इनके सूखने के कगार पर पहुंचने से आम जनता को मुश्किल हो रही है.
चेन्नई शहर और इसके आसपास वर्तमान में करीब 46 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं और इसकी दोनों झीलों के सूखने से शहर में सूखे के हालात पनप रहे हैं. चेन्नई के कई इलाकों में सरकारी टैंकरों के जरिए पानी पहुंचाया जा रहा है. लोगों को घटों लाइन में लगकर पानी लेना पड़ रहा है. पानी की कमी के मसले पर लोग वहां सड़कों पर उतर आए हैं. सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और अपना गुस्सा उतार रहे हैं. ये हालात सिर्फ चेन्नई में ही नहीं बल्कि तमिलनाडु के अन्य शहरों में भी है. कोयंबटूर में पिछले दिनों पानी के मुद्दे पर लोगों ने प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया, जिसके बाद करीब 500 से ज्यादा लोगों को हिरासत में ले लिया गया.
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पेयजल संकट पर जताई चिंता
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी पुजहल लेक के सैटेलाइट फोटो ट्वीट कर लिखा है कि यह केवल चेन्नई ही नहीं बल्कि पूरे देश की आंखें खोलने के लिए काफी है. हमें साथ आना होगा और पानी को बचाने और जल संसाधनों के संरक्षण के क्षेत्र में मिलकर काम करना होगा. हमारे देश की प्राथमिकता वर्तमान में जल संरक्षण होनी चाहिए.
सूखते चेन्नई को अब सिर्फ बारिश ही सहारा
सूखे की स्थिति से जूझ रहे चेन्नई के लोगों को अब बारिश से ही राहत मिलने की उम्मीद है. चेन्नई में पिछले हफ्ते शनिवार और रविवार को हल्की बारिश हुई थी. इससे वहां के लोगों को भीषण गर्मी से तो राहत मिली लेकिन पेयजल संकट से निपटारा नहीं हो पाया. मौसम विभाग के मुताबिक अगले दो-तीन दिन तक चेन्नई और इसके आसपास के इलाकों में छिटपुट बारिश होती रहेगी, लेकिन शहर को जलापूर्ति करने वाली झीलों और बांधों को भरने के लिए भारी बारिश का इंतजार है.
इस साल मानसून में हुई देरी से भी लोगों को पानी के लिए तरसना पड़ रहा है. आगामी कुछ दिनों तक इन झीलों के भरने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं. इन झीलों में बरसात ही एकमात्र पानी का स्रोत है, यदि इस बार दक्षिण भारत में मानसून कमजोर रहा या बारिश कम हुई तो आने वाले साल में पेयजल संकट और भी गहरा जाएगा. लाखों लोगों को घर कहा जाने वाला यह शहर भविष्य में बूंद-बूंद पानी को तरस सकता है.
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