चंद्रयान-3 ने आज ही रचा था इतिहास, एक साल में चंद्र मिशन ने हमें क्या दिया?

चंद्रयान-3 ने आज ही रचा था इतिहास, एक साल में चंद्र मिशन ने हमें क्या दिया? Chandrayaan-3 had created history today itself, what did the lunar mission give us in one year?

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चंद्रयान-3 ने आज ही रचा था इतिहास, एक साल में चंद्र मिशन ने हमें क्या दिया?

Aprajita Anand

  • August 23, 2024 8:58 am Asia/KolkataIST, Updated 3 months ago

नई दिल्ली: चंद्रयान-3 की बदौलत भारत आज अपना पहला अंतरिक्ष दिवस यानी राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मना रहा है. भारत के इस महत्वाकांक्षी मिशन को आज (23 अगस्त) को एक साल पूरा हो गया है.आज ही के दिन इसरो के अंतरिक्ष मिशन ने वो मुकाम पार कर लिया, वैज्ञानिक कई सालों से इसका सपना देख रहे थे. शाम 6 बजकर 4 मिनट पर जब (चंद्रयान-3) का विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह को छुआ तो ऐसा लगा जैसे 140 करोड़ देशवासियों की सांसें रुक गई हो. हम चंद्रमा के SOUTH POLE पर पहुंचने वाले पहले देश और चंद्रमा को छूने वाले दुनिया के चौथे देश बन गए।

जानें चंद्रयान-3 का इतिहास

यह भारत का तीसरा चंद्र मिशन था. इसीलिए भारतीय अंतरिक्ष रिसर्च आर्गेनाइजेशन ने इसे चंद्रयान-3 नाम दिया. इससे पहले भारत ने 2008 में (चंद्रयान-1) लॉन्च किया था. यह मिशन सफल रहा था और भारत चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचने में सफल रहा था. इसके बाद अगला कदम चंद्रमा पर उतरना था. भारत ने 2019 में (चंद्रयान-2) के साथ इस सपने को साकार करने की कोशिश की, लेकिन लैंडर विक्रम का चंद्रमा की सतह से कुछ दूरी पर लैंडिंग साइट से संपर्क टूट गया और मिशन अधूरा रह गया. चार साल की लगातार कड़ी मेहनत के बाद भारत ने 14 जुलाई 2023 को अपना तीसरा चंद्रमा मिशन लॉन्च किया. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर इसकी लैंडिंग के लिए 23 अगस्त की तारीख चुनी गई. आख़िरकार सपना सच हुआ और दुनिया भर की अंतरिक्ष एजेंसियों ने इसरो की ताकत को पहचाना.

चंद्र मिशन से हमें क्या-क्या मिला?

1. चंद्रमा का तापमान: विक्रम लैंडर एक तापमान मापने वाले उपकरण से लैस था जो चंद्रमा की सतह से 10 cm नीचे तक जा सकता था. इससे पता चला कि चंद्रमा की सतह के तापमान की तुलना में सतह के अंदर का तापमान लगभग 60 डिग्री सेल्सियस कम है.

2. सल्फर की मौजूदगी: विक्रम लैंडर के साथ चंद्रमा की सतह पर गए ‘प्रज्ञान रोवर’ ने दक्षिणी ध्रुव पर सल्फर की मौजूदगी की पुष्टि की थी. ISRO वैज्ञानिकों के मुताबिक, चंद्रमा की सतह पर न केवल सल्फर बल्कि सिलिकॉन, लोहा, कैल्शियम और एल्यूमीनियम भी पाए गए.

3. चंद्रमा पर आते हैं भूकंप: विक्रम लैंडर ने यह भी पता लगाया था कि चंद्रमा पर अक्सर भूकंप आते रहते हैं, वैज्ञानिकों का मानना ​​था कि या तो यह हल्का भूकंप था या किसी उल्कापिंड के कारण चंद्रमा पर कंपन हुआ था.

भारत के लिए गर्व क्यों?

ये पूरा मिशन भारत के लिए गौरवशाली था क्योंकि भारत ने वहां जाने का फैसला किया था जहां अब तक कोई नहीं पहुंच सका था. जब भारत का चंद्रयान-3 चंद्रमा पर उतरने की तैयारी कर रहा था, उसी समय रूस ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लूना-25 भेजकर अपना प्रभाव स्थापित करने की कोशिश की.हालाँकि, वह इस प्रयास को सफल बनाने से पहले असफल हो गए. अमेरिका और चीन जैसे देश भी यहां जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। अब दुनिया के कई देशों की नजर चांद पर है. सरकारी अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ-साथ, स्पेसएक्स और अन्य जैसी निजी क्षेत्र की अंतरिक्ष एजेंसियां ​​भी चंद्रमा मिशन डिजाइन कर रही हैं.

चंद्रयान-4 की क्या है योजना?

चंद्रयान-3 से इतिहास रचने वाला इसरो अब चंद्रयान-4 की तैयारी में है.इसरो के चेयरमैन ‘S सोमनाथ’ के मुताबिक, इसमें पांच साल तक का समय लग सकता है। दरअसल, चंद्रयान-4 से पहले भारत के कई अंतरिक्ष मिशन कतार में हैं. इसमें सबसे बड़ा मिशन गगनयान है, जो भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाने वाला बेहद महत्वाकांक्षी मिशन है. इस मिशन को 2024 में ही लॉन्च किया जाना था, लेकिन कोविड और उसके बाद चंद्रयान-3 की तैयारियों के कारण मिशन में कुछ हद तक देरी हो गई. अब तक सामने आ रही खबरों के मुताबिक, भारत जापान की अंतरिक्ष एजेंसी JAXA के साथ मिलकर चंद्रयान-4 लॉन्च कर सकता है. इसे जापान में Lupex के नाम से जाना जाएगा.

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