नई दिल्ली. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, इसरो ने चांद की सतह पर चंद्रयान 2 के विक्रम लैंडर को खोज तो लिया है लेकिन उससे अभी तक संपर्क नहीं बनाए पाए हैं. विक्रम लैंडर को चांद पर पहुंचे लगभग 10 दिन हो चुके हैं और विक्रम लैंडर के साथ फिर से संपर्क स्थापित करने की उम्मीद दिन बढ़ने के साथ कम होती जा रही है. विक्रम लैंडर 7 सितंबर को चांद पर उतारा और इसी के तुरंत बाद इसरो से उसका संपर्क टूट गया. तब से इसरो के पास केवल 14 दिन का समय था विक्रम लैंडर से दोबारा संपर्क करने के लिए.
दरअसल चांद का एक दिन पृथ्वी के 14 दिन के बराबर है. विक्रम लैंडर के 10 दिन पहले पहुंचने का मतलब है कि कुछ दिनों में चांद पर रात होगी. इसका मतलब यह है कि 20-21 सितंबर तक रात चंद्रमा के उस हिस्से पर होगी जहां विक्रम वर्तमान में स्थित है और विक्रम को शक्ति देने के लिए सूर्य की रोशनी नहीं होगी. ऐसे में इसरो के लिए अब विक्रम लैंडर से संपर्क करना नामुमकिन सा हो गया है.
शुरू में, सब कुछ योजना के अनुसार हुआ. विक्रम ने 7 सितंबर को सुबह 1:40 बजे से कुछ समय पहले चंद्रमा पर अपनी लैंडिंग शुरू की. बेंगलुरु में इसरो कमांड सेंटर, लैंडर की प्रगति पर नजर रख रहा था. अचानक सब रुक सा गया. विक्रम की लैंडिंग में कुछ गड़बड़ हो गई थी. कुछ समय कोशिश करने के बाद इसरो प्रमुख के सिवन ने सभी को विक्रम लैंडर से संपर्क टूटने की जानकारी दी.
तब से, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन विक्रम लैंडर के साथ संचार को फिर से स्थापित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है. हालांकि, चंद्रयान 2 चंद्रमा के बाहर की ओर अपनी कक्षा में सुरक्षित है. अंतरिक्ष एजेंसी ने चंद्रयान -2 ऑर्बिटर की मदद से चंद्रमा पर लैंडर का पता लगाने में सक्षम होने के अलावा बहुत प्रगति नहीं की है. इसरो के पास अब वीक्रम के संपर्क में आने में लगभग चार दिन बचे हैं.
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