नई दिल्ली. चंद्रयान- 2 ने आज सुबह चंद्रमा की यात्रा के दौरान एक और उपलब्धि पूरी की जब उसने सफलतापूर्वक दूसरा डी-ऑर्बिटिंग किया. इस विकास के बारे में इसरो ने ट्वीट कर जानकारी दी है. इसरो ने कहा कि युद्धाभ्यास नौ सेकंड के भीतर योजनाबद्ध तरीके से सफलतापूर्वक किया गया था. इसरो ने कहा, चंद्रयान- 2 अंतरिक्ष यान के लिए दूसरा डी-ऑर्बिटिंग आज (04 सितंबर 2019) को सफलतापूर्वक शुरू की गई थी, जो कि ऑनबोर्ड प्रोपल्शन सिस्टम का उपयोग करते हुए नियोजित थी. आज तक, विक्रम लैंडर की कक्षा 35 किमी x 101 किमी है.
इसरो ने कहा कि चंद्रयान- 2 96 किमी x 125 किमी की कक्षा में चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है. उन्होंने बताया कि ऑर्बिटर और लैंडर दोनों स्वस्थ हैं. चंद्रयान -2 यकीनन इसरो की अब तक की सबसे परिष्कृत परियोजना है. यह चंद्रमा के दूर-छोर या अंधेरे चेहरे पर रोवर को उतारने की योजना बना रहा है. मिशन में जो अंतर है वह यह है कि इसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर रोवर को सॉफ्ट लैंडिंग के जरिए उतारना है, ये अब तक केवल तीन अन्य देशों द्वारा हासिल की गई एक उपलब्धि है.
आज के विकास के बारे में बोलते हुए, इसरो ने कहा, इस युद्धाभ्यास के साथ विक्रम लैंडर के लिए चंद्रमा की सतह की ओर लैंडिंग शुरू करने के लिए जरूरी कक्षा प्राप्त की गई है. लैंडर 07 सितंबर 2019 को 0100 – 0200 बजे भारतीय समयनुसार के बीच संचालित लैंडिंग के लिए निर्धारित है. जिसके बाद 0130 – 0230 बजे भारतीय समयनुसार के बीच लैंडर का टचडाउन होगा.
लैंडर द्वारा 03 सितंबर को पहली डे-परिक्रमा सफलतापूर्वक की गई. मंगलवार की सुबह, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने जानकारी दी कि विक्रम लैंडर सोमवार को चंद्रयान- 2 ऑर्बिटर से सफलतापूर्वक अलग हो गया था और अब उसके युद्घाभ्यास भी जारी कर दिए गए हैं. सोमवार को जिस कक्षा में वो पहुंचा था उसकी तुलना में चंद्रमा के चारों ओर वो और नजदीकी कक्षा में प्रवेश कर चुका है. लैंडर अब चांद की सतह पर उतरने के लिए तैयार है.
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