Chandrayaan 2 Moon Lander in Lunar Orbit: चंद्रयान- 2 मून लैंडर ऑर्बिटर से अलग होने के बाद चांद की नई कक्षा में पहुंचा

Chandrayaan 2 Moon Lander in Lunar Orbit: चंद्रयान- 2 मून लैंडर ऑर्बिटर से अलग होने के बाद चांद की नई कक्षा में पहुंच गया है. चंद्रयान -2 विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा के चारों ओर अपनी ऑर्बिट को कम कर दिया है. यह विकास लैंडर के चंद्रयान -2 ऑर्बिटर से अलग होने एक दिन बाद हुआ है. इस लैंडर में रोवर है जो चांद की सतह पर उतरेगा.

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Chandrayaan 2 Moon Lander in Lunar Orbit: चंद्रयान- 2 मून लैंडर ऑर्बिटर से अलग होने के बाद चांद की नई कक्षा में पहुंचा

Aanchal Pandey

  • September 3, 2019 1:43 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. चंद्रयान- 2 लैंडर और रोवर ने चंद्रयान- 2 ऑर्बिटर से आलग होने और चंद्र सतह पर अपनी यात्रा शुरू करने के एक दिन बाद चंद्रमा के चारों ओर अपनी ऑर्बिट को कम कर दिया है. यानि की चांद के चारों और चक्कर लगा रहा लैंडर अब चांद के और नजदीक जा रहा है. मंगलवार सुबह 8.50 बजे इसका पहला डे-ऑर्बिटिंग युद्धाभ्यास सफलतापूर्वक किया गया. विक्रम लैंडर में एक छह पहिए वाला रोवर प्रज्ञान है, जो 7 सितंबर को चंद्र के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरेगा.

मंगलवार की सुबह, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने जानकारी दी कि विक्रम लैंडर सोमवार को चंद्रयान- 2 ऑर्बिटर से सफलतापूर्वक अलग हो गया था और अब उसके युद्घाभ्यास भी जारी कर दिए गए हैं. सोमवार को जिस कक्षा में वो पहुंचा था उसकी तुलना में चंद्रमा के चारों ओर वो और नजदीकी कक्षा में प्रवेश कर चुका है. लैंडर अब चांद की सतह पर उतरने के लिए तैयार है. विक्रम लैंडर अब चंद्रमा के चारों ओर 104 किमी x 128 किमी की कक्षा में उड़ रहा है. कक्षा के निकटतम बिंदु पर, विक्रम चांद की सतह से 104 किलोमीटर दूर है, जबकि सबसे दूर बिंदु पर लैंडर 120 किलोमीटर दूर है.

विक्रम बुधवार तड़के एक और इसी तरह का युद्धाभ्यास करेगा और खुद को चंद्रमा के चारों ओर 36 किमी x 110 किमी की निचली कक्षा में ले आएगा. इस सफल युद्धाभ्यास के बाद विक्रम लैंडर अंत में 7 सितंबर को, एक 15-मिनट के संचालित लैंडिंग को शुरू करेगा, जिसके अंत में यह चंद्रमा की सतह पर प्रागयान को छोड़ देगा.

एक बार चांद पर लैंड होने के बाद प्रज्ञान 14 दिन तक चांद के दक्षिणी इलाके में घूमते हुए बिताएगा. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने चांद के दक्षिण ध्रुव को प्रागयान के मिशन स्थान के रूप में चुना क्योंकि यह सौर मंडल के सबसे ठंडे स्थानों में से एक है और इसे अरबों वर्षों से सूर्य की रोशनी नहीं मिली है.

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