नई दिल्ली. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, इसरो (ISRO) ने भारत के मून मिशन चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण फिलहाल टाल दिया है. चंद्रयान-2 की पहले लॉन्चिंग सोमवार 15 जुलाई तड़के 2 बजकर 51 मिनट पर होनी थी लेकिन लॉन्चिंग व्हीकल में तकनीकी दिक्कत आने पर इसकी लॉन्चिंग फिलहाल के लिए रोक दी गई है. इसरो जल्द ही चंद्रयान-2 के लॉन्चिंग की नई तारीख का एलान करेगा. आपको बता दें कि यह दुनिया का सबसे कम खर्चीला लूनर मिशन है. चंद्रयान-2 को तैयार करने में 960 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. चंद्रयान-2 में भारत में ही डिजाइन किया गया सबसे पावरफुल रॉकेट लॉन्चर GSLV Mk III लगा है. साथ ही चंद्रयान-2 में एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर ये तीन मॉड्यूल लगे हैं. सबसे खास बात यह कि चंद्रयान-2 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अपने लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को उतारेगा. चंद्रयान-2 चंद्रमा तक कैसे पहुंचेगा, चंद्रयान-2 की स्पीड क्या होगी, चंद्रयान-2 पृथ्वी से चांद तक पहुंचने में कितनी दूरी तय करेगा और इसे चांद पर पहुंचने में कितना समय लगेगा? यदि आपके मन में भी ये सवाल उठ रहे हैं तो इनका जवाब आपको यहां मिलेगा. जानिए चंद्रयान-2 से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य.
पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी करीब 3.84 लाख किलोमीटर है. चंद्रयान 2 को चांद पर पहुंचने में करीब 54 दिन का समय लगेगा. चंद्रयान-2 के 6 सितंबर 2019 को चंद्रमा पर पहुंचने की संभावना जताई जा रही थी लेकिन अब इसका प्रक्षेपण टलने से अब नई तारीख का एलान होगा. चंद्रयान-2 का वजन 3.8 टन है.
चंद्रयान-2 श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सोमवार तड़के 2 बजकर 51 मिनट पर उड़ान भरेगा. इसके 16 मिनट बाद स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी की कक्षा में पहुंच जाएगा. चंद्रयान 2 को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने में करीब 21-25 दिन का समय लगेगा. इसके बाद स्पेसक्राफ्ट में से ऑर्बिटर निकलकर चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हो जाएगा.
प्रक्षेपण के 54 दिनों बाद चंद्रयान का लैंडर और रोवर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा. आपको बता दें कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अभी तक कोई भी स्पेसक्राफ्ट नहीं पहुंच पाया है. चंद्रयान पहला ऐसा मिशन है जो चंद्रमा के इस ध्रुव पर जाएगा और वहां की मिट्टी और सतह के अन्य तथ्यों की जांच करेगा.
चंद्रयान-2 का रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की सतह का अध्ययन करेगा और वहां से ऑर्बिटर को डेटा भेजेगा. रोवर में कई तरह के वैज्ञानिक उपकरण लगाए गए हैं, जिससे चंद्रमा की सतह का गहराई से अध्ययन किया जा सके. वहीं चंद्रयान 2 का ऑर्बिटर चंद्रमा का 3D नक्शा बनाएगा. जिससे चंद्रमा की बाहरी सतह का अध्ययन करने में आसानी होगी.
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