नई दिल्ली: भारत में इस बार चांदीपुरा वायरस ने पिछले 20 सालों के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। WHO के मुताबिक, जून से 15 अगस्त के बीच इस वायरस के कुल 245 मामले सामने आए हैं, जिनमें 82 मौतें भी शामिल हैं। WHO का कहना है कि पिछले वर्षों में भी इस वायरस के मामले आए हैं, लेकिन इस साल संक्रमण का स्तर बेहद खतरनाक हो गया है।
चांदीपुरा वायरस, जिसे CHP वायरस भी कहा जाता है, भारत के पश्चिमी, मध्य और दक्षिणी राज्यों में मानसून के दौरान अधिक फैलता है। इस साल सबसे पहले इसके केस गुजरात में दर्ज हुए, जिसके बाद अन्य राज्यों में भी संक्रमण फैल गया। यह वायरस मच्छर और मक्खी के काटने से फैलता है, और बच्चों में इसके मामले सबसे ज्यादा देखे जा रहे हैं। इस वायरस का कोई विशेष इलाज या टीका उपलब्ध नहीं है, केवल लक्षणों के आधार पर ही मरीज का इलाज किया जाता है।
चांदीपुरा वायरस का डेथ रेट कोरोना वायरस की तुलना में कई गुना ज्यादा है। कोरोना का डेथ रेट करीब 2% था, लेकिन चांदीपुरा में यह आंकड़ा 50 से 75% तक है। यानी कि 100 संक्रमितों में से 50 से 75 मरीजों की मौत का खतरा होता है। खासकर बच्चों में इसका संक्रमण तेजी से फैलता है और दिमाग पर असर डालकर दिमागी बुखार का कारण बनता है। संक्रमित होने के 48 से 72 घंटे के भीतर अगर इलाज नहीं मिला तो मौत हो सकती है।
WHO का कहना है कि 19 जुलाई के बाद से चांदीपुरा वायरस के मामलों में कमी आई है, लेकिन इससे सावधान रहने की जरूरत है। बारिश के बाद मच्छरों और मक्खियों से फैलने वाली बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में इस वायरस से बचाव के उपायों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। संक्रमितों की समय पर जांच और रिपोर्टिंग से मौत के आंकड़ों को कम किया जा सकता है।
– मच्छरों और मक्खियों से बचाव के लिए अपने आसपास साफ-सफाई रखें।
– घर के अंदर मच्छरदानी का इस्तेमाल करें और बाहर निकलने पर शरीर को ढक कर रखें।
– बुखार, सिरदर्द, उल्टी या दिमागी बुखार जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
– बच्चों का विशेष ख्याल रखें और मच्छर रोधी क्रीम का इस्तेमाल करें।
चांदीपुरा वायरस का प्रकोप इस साल भारत के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। सावधानी और जागरूकता ही इससे बचाव का सबसे बड़ा उपाय है। WHO की चेतावनी के साथ हमें सतर्क रहने और समय पर इलाज करवाने की जरूरत है।
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