नई दिल्ली: आज पूरे देश ने 74वां गणतंत्र दिवस मनाया. इस दौरान एक बार फिर उत्तर प्रदेश का चन्दौली चर्चा में आ गया. दरअसल चन्दौली के लाल मेजर शुभांग को वीरता पुरस्कार कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है. ऐसे में एक बार फिर चन्दौली देश के पटल पर छा गया है. बता दें, गणतंत्र […]
नई दिल्ली: आज पूरे देश ने 74वां गणतंत्र दिवस मनाया. इस दौरान एक बार फिर उत्तर प्रदेश का चन्दौली चर्चा में आ गया. दरअसल चन्दौली के लाल मेजर शुभांग को वीरता पुरस्कार कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है. ऐसे में एक बार फिर चन्दौली देश के पटल पर छा गया है. बता दें, गणतंत्र दिवस के मौके पर इस साल सेना के 2 जवानों को कीर्ति चक्र और 7 को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है. इन्हीं में से एक हैं मेजर शुभांग जिन्होंने सीमा पर अपनी बहादुरी का परिचय दिया. आइए आपको बताते हैं जाबाज़ मेजर शुभांग की कहानी.
मेजर शुभांग अपने घर के इकलौते बेटे हैं जो कि चंदौली मुख्यालय स्थित कैली के निवासी हैं. बचपन से ही वह सेना में जाना चाहते थे. उन्होंने अपनी प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा प्रयागराज में पूरी की और एनडीए की आयोजित परीक्षा क्वालीफाई कर सेना में इंट्री ली. यहां से उनके मेजर बनने का सफर शुरू हुआ. यह पूरी घटना अप्रैल 2022 की है जब सेना को खबर मिली की बड़गाम के एक गांव में आतंकी छिपे हैं. मेजर शुभांग की अगुवाई में 62 राष्ट्रीय राइफल्स की टीम बड़गाम पहुंची.
इस दौरान सर्च ऑपरेशन चलाया गया. सर्च ऑपरेशन के दौरान दोनों तरफ से गोलियां बरसने लगीं. इस हमले में मेजर शुभांग के कंधे पर एक गोली जा लगी. इसके बावजूद उन्होंने अदम्य साहस दिखाते हुए कदम पीछे नहीं खींचे और आतंकियों को मार गिराया. मेजर शुभांग के प्रशस्ति पत्र में सेना ने लिखा है कि मेजर और आतंकी के बीच की दूरी केवल 10 मीटर थी. दूसरा आतंकी लगातार गोलियां बरसा रहा था. मेजर शुभांग घायल अवस्था में ही रेंगते हुए उसकी ओर बढ़े उनके साहस ने आतंकी को पैसा ही के एक घर में शरण लेने पर मजबूर कर दिया.
चारों तरफ से घेरने के बाद सेना ने इस आतंकी को ढेर कर दिया. बुरी तरह घायल मेजर शुभांग अपने घायल साथियों को वहां से निकालने में लगे रहे. जहां उन्हें सबसे आखिर में रेस्क्यू किया गया.
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