नई दिल्ली। वरिष्ठ वकील सौरभ कृपाल का नाम बतौर जज दिल्ली हाई कोर्ट में नियुक्ति के लिए एक बार फिर केंद्र सरकार को भेजा गया है। बता दें , सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस बी एन कृपाल के बेटे सौरभ LGBTQ अधिकारों पर हमेशा से काम करते रहे हैं , वह खुद भी घोषित रूप से समलैंगिक है। मिली जानकारी के मुताबिक , 2017 से अब तक कृपाल की नियुक्ति सरकार की कई आपत्तियों के चलते अटकती रही है। अब यह उम्मीद जताई जा रही है कि अगले कुछ दिनों में वह ऐतिहासिक मौका आने वाला है , जब LGBTQ वर्ग का कोई व्यक्ति इस उच्च संवैधानिक पद पर बैठेगा।
जानकारी के लिए बता दें , हाई कोर्ट कॉलेजियम की तरफ से उनके नाम की सिफारिश 2017 में भेजी गई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने भी उनका नाम केंद्र को भेजा था।हालांकि सरकार की असहमति के चलते मामला बार बार अटका रहा है। अब एक बार फिर चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल और के एम जोसफ के कॉलेजियम ने उनका नाम सरकार को दोबारा भेजा है ।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने एक से ज़्यादा बार कृपाल के नाम की सिफारिश केंद्र को भेज दी है। बता दें , हर बार केंद्र सरकार ने जवाब में कहा है कि खुफिया ब्यूरो (IB) ने इस नियुक्ति के विरोध में रिपोर्ट दी है और उस रिपोर्ट में सौरभ के पार्टनर का विदेशी मूल का होना है और दिल्ली में स्विस दूतावास के लिए काम करना, सुरक्षा के लिहाज़ से आपत्तिजनक बताया जा रहा है।
अब कॉलेजियम ने इस आपत्ति को खारिज करते हुए बताया है कि देश में बड़े पदों पर बैठे कई लोगों के पति या पत्नी विदेशी मूल के रह चुके है। उन्होंने आगे कहा कि पूर्व एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी के चैंबर में बतौर जूनियर करियर की शुरुआत करने वाले सौरभ की छवि एक मेहनती और काबिल वकील की रही है। उनकी योग्यता पर मुहर लगाते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के सभी 31 जजों ने सर्वसम्मति से उन्हें वरिष्ठ वकील का दर्जा भी दिया गया है।
बता दें , सौरभ कृपाल ने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से फिजिक्स में ऑनर्स के अलावा विदेश के प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज विश्वविद्यालयों से अपनी कानून की पढ़ाई पूरी की है। जानकारी के मुताबिक , समलैंगिकता को अपराध ठहराने वाली आईपीसी की धारा 377 के खिलाफ कानूनी लड़ाई में भी वह काफी सक्रिय रहे थे। उन्होंने याचिकाकर्ता नवतेज जौहर के लिए कोर्ट में जिरह भी की थी। ऐसा माना जा रहा है कि उनकी हाई कोर्ट जज के रूप में नियुक्ति समाज में इस वर्ग के बारे में स्थापित धारणाओं को तोड़ने में मददगार साबित हो सकती है। इसके अलावा LGBTQ वर्ग के वकीलों को भी प्रोत्साहित करेगी। इससे समाज में स्वीकार्यता बढ़ने से दूसरे क्षेत्रों में भी इस वर्ग के लोग मुख्यधारा से जुड़ पाएंगे।
जानकारी के मुताबिक , केंद्र ने आईबी रिपोर्ट के आधार पर वकील सोमशेखर सुंदरेशन को बॉम्बे हाई कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश वापस लौटा दी थी। हालंकि कॉलेजियम ने उनके नाम की सिफारिश केंद्र को फिर से भेज दी है। केंद्र ने बताया था कि सोमशेखर सोशल मीडिया पर मुखर रूप से अपनी राय रखते रहे है। कॉलेजियम ने कहा है कि यह कोई भी अयोग्यता नहीं है और हर नागरिकों के पास अभिव्यक्ति की आजादी है , वो अपनी राय रखने के लिए स्वतंत्र है।
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