Champat Ray on Ram Mandir Land Scam: उत्तर प्रदेश युनाव से पहले राममंदिर का मुद्दा एक बार फिर गर्मा गया है। समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी की ओर से आरोप लगाया गया है कि राम मंदिर के लिए ज़मीन खरीद के नाम पर करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ है। रविवार को हुए इस खुलासे के बाद आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है।
Champat Ray on Ram Mandir Land Scam: उत्तर प्रदेश युनाव से पहले राममंदिर का मुद्दा एक बार फिर गर्मा गया है। समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी की ओर से आरोप लगाया गया है कि राम मंदिर के लिए ज़मीन खरीद के नाम पर करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ है। रविवार को हुए इस खुलासे के बाद आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। लेकिन इन बहस के बीच कुछ ऐसे वाजिब सवाल भी खड़े हुए हैं जो हजम नहीं हो रहे, जिनका जवाब मिलना चाहिए।
प्रति सेकेंड साढ़े 5 लाख रुपये बढ़ी कीमत
आरोप है कि 2 करोड़ की जमीन को ट्रस्ट ने साढ़े 18 करोड़ में खरीदा है। पहले जमीन की कीमत 2 करोड़ थी लेकिन महज 10 मिनट में ही डील पक्की हुई और वो कीमत हो गई साढ़े 18 करोड़ रुपये। 10 मिनट के अंतराल में जमीन की कीमत साढ़े 16 करोड़ बढ़ गई। यानी प्रति सेकेंड साढ़े पांच लाख रुपये महंगी होती गई जमीन और 10 मिनटों में कीमत में 9 गुना इजाफा हो गया।
दो डीलों मवन जमीन आसमान का फर्क
इसी साल 18 मार्च को उस जमीन की दोनों डील हुई और दोनों डील में महज 10 मिनट का फर्क है। सबसे बड़ी बात कि दोनों डील में दोनों गवाह कॉमन हैं, उनमें एक नाम अनिल मिश्रा का है जो रामजन्मभूमि ट्रस्ट के सदस्य हैं और दूसरा नाम है अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय का, हालांकि ऋषिकेश उपाध्याय भ्रष्टाचार ने किसी आरोपों से इनकार कर दिया।
क्या है माजरा
हम समझाते हैं कि आखिर माजरा है क्या जिससे सियासत गरमाई है। दरअसल, जमीन का मालिकाना हक कुसुम पाठक का था, जिन्होंने 2010-11 में ही जमीन का समझौता रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी से कर लिया। वही समझौता कागजी तौर पर करीब 10 साल बाद यानी इस साल 18 मार्च को फाइनल हुआ। कुसुम पाठक ने 2 करोड़ में रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी को बेच दिया।
अब यहीं से मामला तूल पकड़ता है। 18 मार्च को ही रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी ने 2 करोड़ वाली वो जमीन श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को बेच दी और कीमत ली गई साढ़े 18 करोड़। अब इसी को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।
सवाल उठना वाजिब है कि महज 10 मिनट के अंदर ही जमीन की कीमत साढ़े 16 करोड़ कैसे बढ़ सकती है। इसी को लेकर तमाम विपक्षी पार्टियां हमलावर हैं।