केरल बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहा है. इस बीच केरल की मदद से देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी आर्थिक मदद की पेशकश हो रही है. कई खाड़ी देशों ने केरल बाढ़ पीड़ितों की आर्थिक मदद की घोषणा की है. लेकिन खबर आ रही है कि केंद्र सरकार इस मदद को लेने से इंकार कर सकती है. विदेश मंत्रालय इस पर अंतिम निर्णय देगा.
नई दिल्ली. केरल को बाढ़ से उबारने के लिए देशभर ही नहीं बल्कि विदेश से मदद के लिए लोग हाथ बढ़ा रहे हैं. संयुक्त अरब अमीरात की सरकार ने भी केरल के लिए 700 करोड़ रुपये की पेशकश की है लेकिन केंद्र सरकार ने इसे लेने से इंकार कर दिया है. केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन से मंगलवार को कहा था कि यूएई ने राज्य की मदद के लिए 700 करोड़ रुपये देने की घोषणा की है. उन्होंने कहा था कि अबू धाबी के क्राउन प्रिंस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की है. इसके बाद खबर आ रही है कि केंद्र ने इस मदद को लेने से इंकार कर सकती है.
इस मामले पर एनडीटीवी ने मिनिस्ट्री लेवल के सीनियर अधिकारी के हवाले से लिखा है कि केंद्र सरकार यूएई से मदद लेने से इंकार कर सकती है. अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार केरल के लिए किसी भी देश से राहत नहीं ले रही है. इसीलिए यह यूएई पर भी लागू होता है. हालांकि, अंतिम निर्णय विदेश मंत्रालय लेगा. उन्होंने कहा कि हालांकि, विदेश में रहने वाले भारतीय प्रवासी केरल सीएम रिलीफ फंड में आर्थिक मदद दे सकते हैं.
बता दें कि शनिवार को शारजाह के शासक सुल्तान बिन मोहम्मद अल-क़ासिमी ने बाढ़ प्रभावितों की मदद के लिए चार करोड़ रुपए देने की घोषणा की थी. इसके अलावा यूएई के राष्ट्रपति शेख ख़लीफ़ा बिन ज़ायद अल नाह्यान ने केरल की बाढ़ को लेकर एक आपातकालीन समिति बनाने का आदेश दिया था. शेख़ मोहम्मद को इस समिति का प्रमुख बनाया गया है. केरल में बाढ़ पीड़ितों को मदद की राशि की घोषणा करने की जिम्मेदारी शेख मोहम्मद की थी. यूएई के अलावा कतर ने भी 50 लाख डॉलर की मदद की घोषणा की है. लेकिन विदेश मंत्रालय ने किसी भी देश से राहत राशि लेने से इंकार कर दिया है.
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