Central Vista Project : कोरोना संकट के बीच सरकार से पीएम मोदी का नया घर बनाने की डेडलाइन तय की, लोग बोले- काश ये तत्परता अस्पताल के लिए होती

नई दिल्ली. मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना सेंट्रल विस्टा पर लगातार काम जारी है. केंद्र सरकार के लिए यह प्रोजेक्ट कितना महत्वपूर्ण है इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कोरोना काल में भी इसे जल्द से जल्द बनाने का काम जारी रहा. इस योजना के तहत बनने वाले नए उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री आवास को लेकर सेंट्रल विस्टा योजना की नोडल एजेंसी केंद्रीय लोक निर्माण विभाग ने कहा कि उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का नया आवास क्रमश: मई और दिसंबर में बनकर तैयार हो जाएगा क्योंकि पर्यावरण मंत्रालय की विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति(ईएसी) ने योजना के तहत बनने वाली बाकी इमारतों के लिए आवश्यक मंजूरी दे दी है. परियोजना के तहत बनने वाले नए संसद भवन में आम केंद्रीय सचिवालय और विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) भवन भी बनाया जाएगा.

मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में सीपीडब्ल्यूडी ने बताया कि संसद के निर्माण का काम नवंबर 2022 तक पूरा हो जाएगा. उपराष्ट्रपति भवन का निर्माण मई 2022 तक और प्रधानमंत्री आवास और एसपीजी भवन का निर्माण दिसंबर 2022 तक पूरा हो जाएगा. इस परियोजना की लागत, जिसमें आम केंद्रीय सचिवालय भी शामिल है, 13,450 करोड़ रुपए बताई गई है.

इस पूरी परियोजना को केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय की देखरेख में अंजाम दिया जा रहा है. सरकार का उद्देश्य भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ तक नए संसद भवन का निर्माण करना है. हालांकि परियोजना के तहत बनने वाली अन्य इमारतों का निर्माण 2024 तक पूरा हो पाएगा. इस परियोजना के निर्माण की जिम्मेदारी 29 सितंबर 2020 को टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को सौंपी गई थी. इसी पर सोशल मीडिया कई लोग अपना गुस्सा दिखा रहे हैं और कह रहे हैं इस महामारी में अस्पताल बनाने पर जोड़ दिया जाता तो क्या बात थी.

सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत बनने वाले प्रधानमंत्री के नए आवास को मौजूदा साउथ ब्लॉक परिसर के पीछे स्थानांतरित किया जाएगा जबकि उपराष्ट्रपति भवन को नॉर्थ ब्लॉक के पीछे दोबारा स्थानांतरित करने की योजना है. ईएसी ने योजना के बारे में आगे बताया कि योजना के निर्माण में हरियाली का विशेष ध्यान रखा जा रहा है. कार्य स्थल पर फिलहाल 4,918 पेड़ लगे हुए हैं. इस योजना के तहत केवल स्थानीय प्रजाति के पेड़ों को लगाने की योजना है. लगभग हर 80 वर्गमीटर पर 1 पेड़ लगाने की योजना है. हम ज्यादा से ज्यादा चौड़ी पत्तयों वाले पेड़ों को लगाने की कोशिश कर रहे हैं ये प्रजातियां ऐसी होंगी तो कम पानी में पनपती हों.ईएसी ने आगे बताया कि परियोजना स्थल पर तोड़-फोड़ का काम शुरू होने से पहले दो ऑनलाइन एंबिएंट क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन बनाए जाएंगे. निर्माण कार्य के दौरान प्रदूषण को कम करने के लिए 50 एंटी स्मॉग गन और 15 एंटी स्मॉग टावर स्थापित किए जाएंगे.

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Aanchal Pandey

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