Lok Sabha Election Chowkidar Election commission: सेंट्रल ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर लोकसभा चुनाव 2019 में "चौकीदार" शब्द के इस्तेमाल पर विरोध जताया है. अब चुनाव आयोग तय करेगा कि चुनाव में राजनीतिक पार्टियों द्वारा शब्द इस्तेमाल किया जायेगा या नहीं.
नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव में राजनीतिक पार्टियों द्वारा “चौकीदार” शब्द इस्तेमाल किया जायेगा या नहीं, अब यह चुनाव आयोग तय करेगा. दरअसल सेंट्रल ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर इस शब्द के इस्तेमाल पर विरोध जताया है. सेंट्रल ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन ने चुनाव आयोग से मांग की है कि 2019 लोकसभा चुनाव में राजनीतिक पार्टियों के “चौकीदार” शब्द के इस्तेमाल करने पर रोके लगाई जाए.
सेंट्रल ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन ने पत्र में कहा है कि चौकीदार शब्द चौकीदारी एक्ट के तहत एक आता है. सेंट्रल ऑफ इंडिया ट्रेड यूनियन ने कहा कि इस शब्द का इस्तेमाल राजीनीति पार्टियों, उम्मीदवारों द्वारा करना न सिर्फ अनुचित है बल्कि अपमानजनक है.
सेंट्रल ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन ने ये भी कहा कि लोकसभा उम्मीदवारों द्वारा यहां तक कि प्रधानमंत्री द्वारा “चौकीदार” शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा है और ऐसा प्रतीत होता है कि “चौकीदार” कोई हाई प्रोफाइल नौकरी है जबकि ऐसा नहीं है. चौकीदार आर्थिक रूप से समाज में काफी पिछड़े हैं.
पिछले काफी समय से चौकीदार शब्द देश में चुनावी मुद्दा बनता जा रहा है. अपने चुनाव प्रचार के दौरान कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद को देश का चौकीदार बता चुके हैं. वहीं राहुल गांधी भी पीएम मोदी पर ”चौकीदार चौर है” शब्द के साथ तंज कसते आ रहे हैं.
हाल ही में चौकीदार शब्द इतना ट्रेंडिग हुआ कि प्रधानमंत्री मोदी के ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट के नाम के आगे चौकीदार शब्द जुड़ गया. पीएम मोदी के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, विदेश मंत्री सुष्मा स्वराज समेत कई भाजपा नेताओं और मोदी सरकार के मंत्री अपने नाम के आगे चौकीदार शब्द लगा दिया.
इस मामले में सेंट्रल ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन का कहना है कि चौकीदार कोई अमीर नहीं बल्कि समाज के आर्थिक पिछड़े लोग हैं. चुनावी रैलियों में बार-बार इस शब्द का बड़े-बड़े देश के नेताओं द्वारा इस्तेमाल करना गलत ही नहीं अपमानजनक है.