नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने ‘आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची’ (एनएलईएम) में संशोधन करते हुए आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली 39 दवाओं की कीमतों में कटौती की है. एंटी-कैंसर, एंटी-डायबिटीज, एंटीवायरल, एंटीबैक्टीरियल, एंटीरेट्रोवायरल, एंटी-टीबी दवाओं और दूसरी दवाओं की भी कीमतों में कमी की गई, जो कोविड के उपचार में इस्तेमाल की जाती हैं. […]
नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने ‘आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची’ (एनएलईएम) में संशोधन करते हुए आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली 39 दवाओं की कीमतों में कटौती की है. एंटी-कैंसर, एंटी-डायबिटीज, एंटीवायरल, एंटीबैक्टीरियल, एंटीरेट्रोवायरल, एंटी-टीबी दवाओं और दूसरी दवाओं की भी कीमतों में कमी की गई, जो कोविड के उपचार में इस्तेमाल की जाती हैं. एनएलईएम सूची पर काम कर रहे विशेषज्ञों ने 16 ऑड दवाओं को सूची से हटा दिया है.
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) दवाओं की कीमत पर नियंत्रण बढ़ाने के लिए लंबे समय से काम कर रही है. आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं, जिन्हें मूल्य सीमा के तहत लाया गया था, उनमें टेनेलिग्लिप्टिन, शुगर की दवा, लोकप्रिय एंटी-टीबी दवाएं, आइवरमेक्टिन कोविड के उपचार में उपयोग की जाने वाली, रोटावायरस वैक्सीन, अन्य शामिल हैं.
सरकार ने एनएलईएम के संशोधन के लिए एक अभ्यास शुरू किया था, जिसे 2015 में अधिसूचित किया गया था और 2016 में लागू किया गया था. दवाओं पर स्थायी राष्ट्रीय समिति को यह सूची तैयार करने का काम सौंपा गया था कि कौन सी दवाएं पर्याप्त संख्या में और सुनिश्चित मात्रा में उपलब्ध होनी चाहिए.
बता दें कि स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग में सचिव और आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव की अध्यक्षता वाली समिति, नीति आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों, स्वास्थ्य सचिव और फार्मास्युटिकल विभाग के सचिव की एक दूसरी समिति को सूची भेजती है. जो यह तय करती है कि कौन सी दवाएं हैं जिन्हें मूल्य सीमा के अंतर्गत रखा जाना है.