देश-प्रदेश

OPS : दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को केंद्र सरकार लागू करे, 14 फरवरी को जंतर-मंतर पर होगी रैली

नई दिल्ली : दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा 11 जनवरी को दिए गए फैसले के मुताबिक केंद्र सरकार अगर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में पुरानी पेंशन बहाल नहीं करती है तो इस बार 20 लाख पैरामिलिट्री परिवार होली नहीं मनाएंगे. कॉन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस मार्टियरस वेलफेयर एसोसिएशन का कहना है कि केंद्र सरकार अगर इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट का रूख करती है तो यह जवानों के बलिदान का अपमान होगा. एसोसिएशन का कहना है कि केंद्र सरकार जल्द से जल्द दिल्ली हाई कोर्ट फैसला लागू करे. एसोसिएशन द्वारा पुरानी पेंशन लागू कराने और दूसरे लंबित मांगों के लिए 14 फरवरी को दिल्ली के जतंर-मंतर पर रैली आयोजित की जाएगी. इस रैली में पूरे देशभर से पूर्व सीएपीएफ कर्मियों को आमंत्रित किया गया है.

संसद में उठा मुद्दा

दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा 11 जनवरी को दिए गए अपने फैसले में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को भारत संघ के सशस्त्र बल माना गया है. अर्धसैनिक बलों में एनपीएस को स्ट्राइक डाउन करने की बात कही गई. हाई कोर्ट ने कहा था इन बलों में चाहे कोई आज भर्ती हुआ हो चाहे पहले से भर्ती हो या आने वले समय में भर्ती हो सभी जवानों और अधिकारियों को पुरानी पेंशन के दायरे में आएंगे. केंद्र सरकार ने अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है, सिर्फ विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे पर मुखर है. संसद में विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया. हिरयाणा से राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के नेता दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार इन बलों में अविलंब ओपीएस लागू करना चाहिए.

वित्त राज्य मंत्री ने दिया जवाब

संसद में पूछे गए गए सवाल का जवाब केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री डॉ. भागवत कराड ने कहा कि इन बलों में एनपीएस लागू है, उसमें पेंशन स्कीम के सभी बताए गए है. 1 जनवरी 2004 के बाद भर्ती हुए सभी सैनिकों पर एनपीएस लागू होता है. दिल्ली उच्च न्यायालय ने 11 जनवरी को इस बाबत फैसला सुनाया है कि सीएपीएफ में पुरानी पेंशन लागू की जाए. यह मामला केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत पॉलिसी मैटर है. वहीं दूसरी ओर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में पुरानी पेंशन योजना लागू कराने के लिए अब कंपनी और बटालियन स्तर पर आवाज उठ रही है. पेंशन कि चर्चा सिपाही से लेकर अधिकारी तक वेलफेयर मीटिंग में कर रहे है.

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Vivek Kumar Roy

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