पांच साल से खाली पड़े सरकारी पदों को खत्म करने की तैयारी में केंद्र सरकार, मंत्रालयों से मांगी रिपोर्ट

केंद्र सरकार ने सभी मंत्रालयों को पांच साल से खाली पड़े पदों का ब्यौरा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. साथ ही इन पदों को खत्म करने की व्यापक रिपोर्ट मांगी है. मोदी सरकार के इस कदम से बहस छिड़ गई है कि आखिर खाली पदों को भरने के बजाय सरकार खत्म क्यों करना चाहती है.

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पांच साल से खाली पड़े सरकारी पदों को खत्म करने की तैयारी में केंद्र सरकार, मंत्रालयों से मांगी रिपोर्ट

Aanchal Pandey

  • January 31, 2018 4:31 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली. केंद्र सरकार पिछले पांच साल से खाली पड़े सरकारी पदों को खत्म करने पर विचार कर रही है. इस संबंध में केंद्र ने सभी मंत्रालयों को खाली पदों की एक व्यापक रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिये हैं. वित्त मंत्रालय ने एक कार्यालय ज्ञापन में कहा कि उसने सभी मंत्रालयों और विभागों से पांच साल से खाली पड़े पदों को समाप्त करने के लिये कार्रवाई रिपोर्ट देने को कहा है. अनुमान के मुताबिक पिछले पांच साल के कई हजार सरकारी पद पांच या उससे ज्यादा साल से खाली हैं.

इस संबंध में कुछ विभागों और मंत्रालयों ने तो जवाब दिया है लेकिन कुछ ने व्यापक रिपोर्ट के बजाय सिर्फ जरूरी सूचना उपलबंध करा दी है. 16 जनवरी 2018 को भेजे गए ऑफिस मेमोरेंडम (ज्ञापन) में कहा गया है कि सभी मंत्रालयों (विभागों) के वित्तीय सलाहकारों व संयुक्त सचिवों से अनुरोध है कि वे मंत्रालयों या संबंधित विभागों के उन पदों को चिन्हित करें जो पांच साल से ज्यादा समय से खाली हैं. साथ ही इन पदों को खत्म करने के बारे में एक व्यापक रिपोर्ट दें. समाचार एजेंसी के अनुसार, इस ज्ञापन के बाद गृहमंत्रालय ने अपने सभी अतिरिक्त सचिवों, संयुक्त सचिवों, पैरामिलिट्री फोर्स के चीफ और अन्य विभागों से व्यापक रिपोर्ट देने को कहा है.

बता दें कि 16 जनवरी के इकोनोमिक टाइम्स में रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी कि 1 मार्च 2016 तक ग्रुप ए के 15, 284 पद ख़ाली थे, ग्रुब बी के 49, 740 पद ख़ाली पड़े थे, ग्रुप सी के 3, 21, 418 पद ख़ाली थे. 1 मार्च 2016 तक चार लाख से अधिक पद ख़ाली पड़े थे. ये सारे पद केंद्र सरकार के विभागों से संबंधित हैं.

इसके अलावा बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई योजगारपरक योजनाएं भी रोजगार देने में नाकाम साबित हो रही हैं. पिछले साल नवंबर में खादी ग्रामोद्योग आयोग ने 300 से अधिक की भर्ती निकाली थी फार्म के लिए 1200 रुपये लिए और फीस लेने के कुछ दिन के भीतर ही भर्ती की प्रक्रिया अस्थायी रूप से स्थगित कर दी. ढाई महीने हो गए, उसका कुछ अता पता नहीं है. ऐसा बिजनेस स्टैंडर्ड के रिपोर्टर सोमेश झा लिखते हैं कि 2016-17 में प्रधानमंत्री रोज़गार प्रोत्साह योजना लांच हुई थी. एक साल में ही इसका बजट आधा किए जाने के संकेत है. इस योजना के तहत अगर कोई कंपनी अपने कर्मचारी को EPFO, EPS में पंजीकृत कराती है तो सरकार तीन साल तक कंपनी का 8.33 प्रतिशत हिस्सा ख़ुद भरेगी. इससे लाभान्वित कर्मचारी वही होंगे जिनकी सैलरी 15000 रुपये प्रति माह तक ही होगी. 

सरकार के इस कदम से सोशल मीडिया पर रोजगार को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं. इन खबरों के बाद रोजगार के मुद्दे पर लोग सरकार की आलोचना कर रहे हैं. हालांकि खाली पड़े सरकारी पदों के समाप्त को क्यों समाप्त किया जा रहा है यह साफ नहीं हो पाया है. 

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