नई दिल्ली, Central Government On Marital rape मैरिटल रपे यानि विवाह के बाद रेप को अपराध की श्रेणी में लाने के लिए काफी समय से मांग उठ रही है. अब इसपर केंद्र का रवैया थोड़ा पाँव पीछे खींचने वाला लग रहा है.
मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में लाने की मांग को पूरा करने के लिए या तो इसपर अदालती फैसले को लिया जाना है या फिर केंद्र द्वारा कानून बनाकर ही स्थिति को स्पष्ट किया जा सकता है. पर इस मामले में केंद्र ने अब विचार के लिए समय माँगा है. जिसे देखते हुए तो यही लगता है कि कहीं न कहीं केंद्र अपने पाँव पीछे ले रही है.
याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा है कि वह अभी मामले में विचार कर रही है. हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट की खंडपीठ में न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने कहा की इस मसले में केंद्र को ही फैसला लेना होगा की आखिर वह क्या करना चाहती है. यदि सरकार इस मामलें पर अपना रुख स्पष्ट नहीं करती तो अदालत को उपलब्ध पूर्व हलफ़नामे के आधार पर आगे बढ़ना होगा.
अदालत में केंद्र सरकार की तरफ से दायर पूर्व हलफनामें में कहा गया था कि मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता. क्योंकि ऐसा करने पर उत्पीड़न बढ़ सकता है. इसका गलत इस्तेमाल भी किया जा सकता है. इस कारण विवाह नाम की संस्था खतरे में पड़ सकती है. परन्तु अब ऐसा लगता है की सरकार इसके कई नए आयामों पर विचार कर रही है.
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