पिछले साल सरकार ने पशुओं की खरीद-फरोख्त को लेकर नए नियम बनाए थे जिस पर जमकर हंगामा हुआ था और सरकार को भारी विरोध का सामना करना पड़ा था. केंद्र सरकार द्वारा तैयार इस मसौदे में पुराने कुछ नियमों में बदलाव किए गए हैं तो कुछ नियमों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. इस खबर में पढ़िए भारी विरोध के बाद सरकार ने नियमों में क्या बदलाव किए हैं.
नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने पिछले साल भैसों, गायों जैसे पशुओं की खरीद-फरोख्त पर बनाए नियमों को वापस ले लिया है. पर्यावरण मंत्रालय अब प्रिवेंशन ऑफ क्रुएलिटी टू एनिमल्स इन एनीमल मार्केट रूल्स, 2018 के तहत बने नए नियमों के बाद उस नियम को हटा दिया गया है जो मवेशियों की खरीदे और बेचे जाने पर प्रतिबंध लगाता था. तैयार हुए नए मसौदे में उस नियम को भी बदल दिया गया है जिसमें खरीदार को यह पुष्टि करना जरूरी होता था कि वह पशु काटने के लिए नहीं खरीद रहा है.
प्रस्तावित नियमों के अनुसार हर एक जिले में एक कमेटी की गठन किया जाएगा जो बाजार में पशुओं पर हो रही क्रूरता पर नजर रखेगी. इस कमेटी में जिलाधिकारी, स्टेट एनिमल वेलफेयर बोर्ड का एक रिप्रेसेन्टेटिव, एसपी, गैर सरकारी संगठन का एक रिप्रेसेन्टेटिव, पशुओं के प्रति क्रूरता को रोकथाम करने के समाज का एक सदस्य, जिला पशु चिकित्सा अधिकारी, जिला परिषद और नगर पालिका से एक प्रतिनिधि शामिल होंगे.
मसौदे के नियमों में पानी, खाद्य भंडारण और स्वास्थ्य जांच जैसे जानवरों के लिए प्रदान की जाने वाली सुविधाओं के संबंध में प्रावधानों को बरकरार रखा गया है और बाजारों में मवेशी बिक्री का विस्तृत रिकॉर्ड बनाए रखना होगा. हालांकि, अयोग्य और युवा जानवरों की बिक्री, पर प्रतिबंध रहेगा. नए नियमों के अनुसार, युवा, बीमार, कमजोर, बीमार, घायल या थका हुआ जानवरों को एक अयोग्य जानवर माना जाएगा. बता दें कि यह मसौदा 22 मार्च को तैयार किया गया है कि जो कि आपत्ति दर्ज कराने और सुझावों के लिए एक माह तक खुला रहेगा.
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