नई दिल्ली, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि प्रमोशन में आरक्षण (Reservation in Pomotion) रोकने पर उपद्रव मच सकता है. सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि सरकारी सेवाओं में प्रमोशन में आरक्षण की नीति को रद्द करने का सीधा असर 4.5 लाख कर्मचारियों पर पड़ेगा. जिससे कर्मचारियों में असंतोष बढ़ेगा और कर्मचारी उपद्रव भी कर सकते है।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी दलील रखते हुए कहा कि वे कर्मचारी जो अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (SC/ST) से है और उन्हें प्रमोशन में आरक्षण का लाभ मिलता है, उसे निरस्त न किया जाए. सरकार ने अपने हलफनामें में कहा कि 2007-2020 के बीच इस नीति की वजह से चार लाख से अधिक कर्मचारियों को लाभ मिला था. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने किसी प्रकार का आदेश दिया तो इसका गंभीर और व्यापक प्रभाव हो सकता है।
बता दे कि सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के कम प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार ने प्रमोशन में आरक्षण की व्यवस्था शुरू की थी. जिसके बाद 2017 में दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार की इस नीति को खारिज कर दिया था. केंद्र सरकार ने अपनी नीति के बचाव में पेश हलफनामें में कहा कि प्रमोशन में आरक्षण देने की वजह से किसी प्रकार की दक्षता की बाधा नहीं आएगी. सरकार ने कोर्ट से कहा कि इस नीति का लाभ उन्ही को दिया जाएगा, जो सभी मानदंडो का पूरा करेंगे।
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